नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने जाति, धर्म, नस्ल और भाषा के आधार पर चुनाव में वोट मांगने पर रोक लगाने सम्बन्धी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कड़ाई से लागू करने के लिए सभी राज्यों को निर्देश जारी किया है और कहा है कि यदि कोई उम्मीदवार या उसका एजेंट आदि इस आधार पर वोट मांगता है तो यह चुनाव की आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा। Seeking
आयोग ने मंगलवार को जारी अपने इस आदेश को देश भर के सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को भी भेजा है और कोर्ट के इस फैसले का पालन करने को कहा है।
इंदौर. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि चुनाव के दौरान उम्मीदवार द्वारा वोट मांगने के लिए धार्मिक भावनाओं का उपयोग किया तो, चुनाव असंवैधानिक करार दिया जाएगा।
कोर्ट के इस फैसले पर ‘पत्रिका’ ने शहर के विभिन्न समाजों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रबुध्दजन की जब राय ली गई तो उनका कहना था, फैसला तो अच्छा है। एेसे प्रावधान संविधान बनाते समय ही किए गए हैं।
व्यवस्था के लचीले रवैये से उन पर अमल नहीं हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का निर्णय दे कर सभी राजनेताओं को वास्तविकता से अवगत कराया है फैसला तो अच्छा है ।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी तंत्र को कायदे-कानून का पालन करवाने के कर्तव्य को याद दिलाया है। पत्रिका कार्यलय में आयोजित एक परिचर्चा में अलग-अलग समाज के प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधि मौजूद थे।
इनमें प्रमुख रुप से शहरकाजी इशरत अली, बिशप चाको, बाबूभाई महितपुरवाला, एवीएस पॉल, आलोक खरे, अभिभाषक संजय मेहरा, शफी शेख मौजूद थे।
धर्म को राजनीति में दखलंदाजी नहीं करना चाहिए। इस पर प्रश्न करने वाले सभी है, चुनौती देने वाले आगे आएं। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अच्छा है। इस पर अमल हो तो निश्चित ही चुनावों में धर्म का दुरूपयोग करने वालों पर लगाम कसेगी।