वैज्ञानिक ने अंतरिक्ष से पक्षियों के चहचहाने जैसी आवाज़ उत्पन्न करने वाली ब्रह्मांडीय तरंगों का पता लगाया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार इन ब्रह्मांडीय तरंगों को ‘कोरस तरंगें’ कहा जाता है, जो प्लाज्मा विस्फोट से उत्पन्न होती हैं।
ये तरंगें इंसानों के सुनने के अनुकूल आवृत्ति पर प्रसारित होती हैं और जब इन तरंगों को कोर्स वेव्ज़ (chorus waves) में परिवर्तित किया गया तो उनकी ध्वनि पक्षियों के चहचहाने के समान पाई गई।
नासा के वैन एलेन प्रोब्स ट्विन स्पेसक्राफ्ट द्वारा शोर का पता लगाया गया, जो नए डिटेक्शन की तुलना में पृथ्वी के विकिरण बेल्ट के बहुत करीब थे।
वैज्ञानिकों ने पहले भी अंतरिक्ष में ऐसी आवाजें सुनी हैं, लेकिन अब उन्होंने अंतरिक्ष में पृथ्वी से 62,000 मील (100,000 किलोमीटर) दूर से आने वाली चहचहाहट की आवाजें सुनी हैं।
गौरतलब है कि पृथ्वी से दूर अंतरिक्ष में ऐसी ध्वनियों की उपस्थिति से जुडी कोई जानकारी पहले कभी चर्चा में नहीं आई है। जब नासा ने 2015 में सूर्य और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों की जांच करने के लिए अपने मैग्नेटोस्फेरिक मल्टीस्केल उपग्रहों को लॉन्च किया, तो यह अब तक का आखिरी दृश्य था। हालाँकि कोरस तरंगों की उत्पत्ति और विकास पर काफ़ी विवाद है, लेकिन उनमें उपग्रहों और लोगों को ख़तरनाक विकिरण के संपर्क में लाने की क्षमता है।
आयोवा विश्वविद्यालय की अंतरिक्ष भौतिक विज्ञानी एलिसन जेन्स का कहना है कि इस खोज के साथ ही कई नए सवाल पैदा होते हैं कि पृथ्वी से इतने दूर अंतरिक्ष में ऐसे कौन से कारक मौजूद हैं, जिनके कारण वहां से ऐसी आवाजें सुनी जा सकती हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये तरंगें पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के प्रभावों से संबंधित हो सकती हैं, लेकिन वे अभी तक इन तरंगों को पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं।