वैज्ञानिकों ने हाल ही में लकड़ी की एक बिल्कुल नई प्रजाति की खोज की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने एक ऐसी लकड़ी की खोज की है जो पेड़ों की कार्बन भंडारण क्षमता को बढ़ा सकती है।
यह लकड़ी ट्यूलिप के पेड़ों में पाई जाती है, जो एक नैनोस्केल लकड़ी की संरचना है। अध्ययन में पाया गया कि ट्यूलिप के पेड़, जो मैगनोलिया से संबंधित हैं और 100 फीट से अधिक ऊंचे हो सकते हैं, की लकड़ी का एक अनूठा प्रकार है जो न तो हार्डवुड और न ही सॉफ्टवुड की श्रेणी में आता है। इसे मिडवुड (midwood) का नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों अपने विवरण में इसकी संरचना की जानकरी देते हुए बताते हैं कि यह कार्बन भंडारण में किस प्रकार से प्रभावी होती है।
पेड़ों और झाड़ियों की लकड़ी की सूक्ष्म संरचना का विकासवादी सर्वेक्षण करने वाले शोधकर्ताओं ने लकड़ी के एक बिल्कुल नए प्रकार की खोज की है। इन पेड़ों की लकड़ी में कार्बन भंडारण में अत्यधिक क्षमता पाई गई है।
पोलैंड में जगियेलोनियन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जान लैक्ज़ाकोव्स्की और उनके सहयोगियों ने ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वनस्पति उद्यान में पेड़ों की 33 प्रजातियों से जीवित लकड़ी के नमूनों की नैनोस्केल संरचना की जांच की। उन्होंने प्रत्येक नमूने को नाइट्रोजन के घोल में जमा दिया, जिसमें नमूनों को माइनस 210 के तापमान पर रखा गया था।
उन्होंने पाया कि ओक या बर्च जैसे दृढ़ लकड़ी के पेड़ों में लगभग 15 नैनोमीटर व्यास के मैक्रोफाइब्रिल्स होते हैं, जबकि सॉफ्टवुड पेड़ों में 25 नैनोमीटर या उससे अधिक व्यास के बड़े मैक्रोफाइब्रिल्स होते हैं।
न्यू फाइटोलॉजिस्ट में प्रकाशित शोध के प्रमुख लेखक, जगियेलोनियन विश्वविद्यालय के डॉ. जान लिज़ाकोव्स्की ने कहा- ” लिरियोडेंड्रोन में एक मध्यवर्ती मैक्रोफाइब्रिल संरचना होती है जो सॉफ्टवुड या हार्डवुड की संरचना से काफी अलग होती है। लिरियोडेंड्रोन लगभग 30-50 मिलियन वर्ष पहले मैगनोलिया पेड़ों से अलग हो गए थे, जो वायुमंडलीय CO2 में तेजी से कमी के साथ मेल खाता था। इससे यह समझने में मदद मिल सकती है कि ट्यूलिप के पेड़ कार्बन भंडारण में अत्यधिक प्रभावी क्यों हैं।”
इस खोज से वृक्षारोपण वनों में कार्बन अवशोषण को बेहतर बनाने के नए अवसर खुल सकते हैं। इससे सजावटी उद्यानों में आमतौर पर देखे जाने वाले तेजी से बढ़ने वाले पेड़ लगाए जा सकते हैं।