शोधकर्ताओं ने मनुष्यों और चूहों के डीएनए में एक ऐसी जगह की पहचान की है जो चिंता की स्थिति को नियंत्रित करने में भूमिका निभाती है।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस खोज के बाद चिंता और बेचैनी के रोगियों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करने वाली नई दवाओं की पहचान हो सकेगी।
मेन्टल हेल्थ फाउंडेशन के अनुसार, महामारी के बाद से चिंता बढ़ रही है और पांच में से एक व्यक्ति अधिकांश या हर समय चिंता का अनुभव करता है। चिंता-विरोधी दवा लेने वाले एक तिहाई रोगियों को चिंता से निरंतर राहत का अनुभव नहीं होता है।
स्कॉटलैंड में एबरडीन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने चूहों के डीएनए के एक हिस्से (एक स्विच के रूप में पहचाने गए भाग ) की पहचान की है जो मस्तिष्क के उन हिस्सों में प्रमुख जीन को सक्रिय करता है जो बेचैनी को प्रभावित करके चिंता का कारण बनते हैं।
अध्ययन के दौरान, जब शोधकर्ताओं ने उस हिस्से को हटाया, तो उन्होंने जानवरों में चिंता में वृद्धि देखी। शोध के बाद, टीम को अब उम्मीद है कि इस स्विच के आगे के अध्ययन से चिंता और बेचैनी के रोगियों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करने वाली नई दवाओं की पहचान हो सकेगी।
Scots scientists uncover DNA 'switch' which affects anxiety levels.https://t.co/u3dYIKokkk
— STV News (@STVNews) March 7, 2024
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एलिसडेयर मैकेंजी ने कहा कि शोधकर्ताओं को पता था कि बीमारी से जुड़ी 95 प्रतिशत आनुवंशिक भिन्नता प्रोटीन-कोडिंग जीन के बाहर पाई गई थी।
उन्होंने कहा, जीनोम के इस हिस्से (जिसे गैर-कोडिंग जीनोम कहा जाता है) का अभी तक पर्याप्त अध्ययन नहीं किया गया है, इस क्षेत्र में कम जानकारी का एक कारण उन्होंने आधुनिक उपकरणों की कमी भी बताया है। मगर इस शोध ने न सिर्फ वैज्ञानिकों के आगे के तमाम रास्ते खोल दिए हैं बल्कि एक नई उम्मीद को भी जन्म दिया है।