सऊदी अरब के विदेशमंत्रालय ने घोषणा की है कि इस देश की जेलों में 5 हज़ार 400 से अधिक कैदी हैं।
सऊदी अरब उन देशों में से है जहां मानवाधिकारों के हनन की दृष्टि से लोगों की विषम स्थिति है। सऊदी अरब में तानाशाही और ग़ैर प्रजातांत्रिक सरकार है और समस्त चीज़ें सरकार के नियंत्रण में हैं।
लोगों के अधिकारों का विशेषकर राजनीतिक क्षेत्र में कोई अर्थ नहीं है और हर प्रकार के विरोध व आपत्ति की भारी कीमत चुकानी पड़ती है और इस देश की जेलें क़ैदियों से भरी पड़ी हैं।
बंदियों के संबंध में सऊदी अरब के विदेशमंत्रालय और गृहमंत्रालय की उन रिपोर्टों को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है जिसमें विदेशमंत्रालय ने बंदियों की संख्या 5 हज़ार 400 बताई है जबकि गृहमंत्रालय ने कहा है कि पिछले एक महीने के अंदर विभिन्न अपराधों के कारण कम से कम 65 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें 46 सऊदी अरब के नागरिक हैं।
सऊदी अरब में सत्ता की बागडोर सऊद परिवार के हाथ में है और अगर इस परिवार के अंदर भी आपत्ति की आवाज़ उठती है तो उस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई जाती है और जो भी राजकुमार सऊदी सरकार के क्रिया- कलापों पर आपत्ति करता है उसे राजनेताओं और न्यायपालिका की कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ता है।
सऊदी अरब की तानाशाही सरकार वहाबी मत की शिक्षाओं के अनुसार काम करती है और इस मत की शिक्षाओं एवं आले सऊद में संबंध इस देश में हिंसा के अधिक होने का कारण बना है। क्योंकि धर्मभ्रष्ट वहाबी मत की शिक्षाओं के अनुसार सरकार पर हर प्रकार की आपत्ति को अपराध समझा जाता है।
वास्तव में सऊदी अरब के बाहर भी जो आले सऊद की युद्धोन्मादी नीतियां हैं उसकी भी जड़ें वहाबित की शिक्षाओं में नीहित हैं।
आले सऊद की जो नीतियां हैं उसकी कीमत सऊदी अरब के नागरिकों को चुकानी पड़ती हैं क्योंकि पश्चिमी देशों की चुप्पी की आड़ में उनके विरुद्ध भी हिंसा में वृद्धि हो गयी है और सऊदी अरब अपने देश के नागरिकों के लिए जेल में परिवर्तित हो गया है।
जानकार हल्कों का मानना है कि सऊदी अरब के विदेशमंत्रालय ने इस देश में बंदियों की जो संख्या बताई है वह वास्तविक बंदियों की संख्या से बहुत कम है और बहुत से लोगों को मुकद्दमा चलाये बिना वर्षों जेलों में रखा जाता है।
ह्यूमन राइट्स वाच की उस रिपोर्ट को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है जिसमें कहा गया है कि सऊदी अरब में 10 वर्षों से भी अधिक समय तक किसी प्रकार का मुकद्दमा चलाये बिना लोगों को जेलों में रखा जाता है।