सूरज ग्रहण की नक़ली परिस्थितियां उत्पन्न करने के मक़सद से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने पहली बार से दो सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा है। यह एक विशाल अंतरिक्ष यान की तरह नज़र आएंगे और कक्षा में रहते हुए कृत्रिम सूर्य ग्रहण बनाएंगे।
इस ऐतिहासिक मिशन का नाम Proba-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑन-बोर्ड ऑटोनॉमी) है। इसे भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 5 दिसंबर को लॉन्च किया गया। इसके लॉन्च में PSLV-C59 रॉकेट की मदद ली गई।
ईएसए यानी यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने जानकारी दी है कि भारत से दो उपग्रह लॉन्च किए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एजेंसी का कहना है कि प्रोबा-3 रॉकेट पर उपग्रह कक्षा में एक-दूसरे के मिलीमीटर के भीतर उड़ान भरेंगे जैसे कि यह एक बड़ा अंतरिक्ष यान हो।
एजेंसी का कहना है कि एजेंसी के 14 सदस्य देश इसमें भाग ले रहे हैं जिससे उसे उम्मीद है कि इससे अंतरिक्ष में एक नई उच्च कुशल स्वायत्त नियंत्रण प्रणाली का प्रदर्शन होगा।
प्रोबा-3 को भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था, जहां उपग्रहों को चार चरणों वाले रॉकेट पर स्थापित किया गया था।
एजेंसी के प्रौद्योगिकी निदेशक डेटमर पेल्ज़ ने कहा कि प्रोबा-3 को विकसित होने में कई साल लग गए और नई तकनीक एजेंसी के जनरल सपोर्ट टेक्नोलॉजी प्रोग्राम के माध्यम से विकसित की गई। इस चुनौतीपूर्ण उद्यम को कक्षा में प्रवेश करते देखना एक रोमांचक एहसास है।