नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने भाजपा सांसद साक्षी महाराज को जनसंख्या संबंधी उनकी कथित टिप्पणी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। आयोग ने कहा कि प्रथमदृष्टया भाजपा सांसद ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है।
साक्षी महाराज को नोटिस का जवाब देने के लिए कल सुबह तक का समय दिया गया है। दो दिन पहले पुलिस ने उन पर कथित रूप से धार्मिक भावनाएं आहत करने का मामला दर्ज किया था। कुछ दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने धर्म या जाति के नाम पर वोट मांगने को गैरकानून कहा था।
कल रात आयोग की ओर से जारी नोटिस में कहा गया कि प्रथम दृष्ट्या उत्तर प्रदेश के उन्नाव से लोकसभा सदस्य ने चार जनवरी से लागू आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। यह आचार संहिता उत्तरप्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद लागू हुई है। नोटिस में कहा गया कि कुल मिलाकर उनकी टिप्पणियों ‘‘में समाज के विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का प्रभाव है।
महाराज ने आज नोटिस मिलने की बात स्वीकार करते हुए संकेत दिया कि उन्हें इसका जवाब देने के लिए और वक्त चाहिए। भाजपा सांसद ने दावा किया कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा जिसके लिए उन्हें नोटिस दिया जाए।
उन्होंने कहा, मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा जिसके लिए मुझे नोटिस भेजा जाए। ना तो मैंने वोट देने के लिए कहा और ना ही ऐसा कुछ कहा जो इस तरह का संकेत देता हो। मैंने किसी समुदाय का नाम नहीं लिया। मैंने केवल इतना कहा कि देश में जनसंख्या वृद्धि दर पर नियंत्रण होना चाहिए। किसी एक समुदाय विशेष को मेरी टिप्पणियों से क्यों जोड़ा जाए?
साक्षी महाराज ने बताया कि उन्हें आज ही नोटिस मिला है और वह भी अंग्रेजी में मिला है। उन्होंने कहा, चूंकि मुझे अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है, इसलिए मैंने अपने दफ्तर से चुनाव आयोग से यह अनुरोध करने को कहा है कि नोटिस का हिंदी स्वरूप मुझे भेजा जाए। मैं हिंदी में ही नोटिस की विषयवस्तु को समझ सकूंगा।
पिछले सप्ताह मेरठ में संत सम्मेलन में बोलते हुए साक्षी महाराज ने कहा था, देश में समस्याएं खड़ी हो रही हैं जनसंख्या के कारण। उसके लिए हिंदू जिम्मेदार नहीं हैं। जिम्मेदार तो वो हैं जो चार बीवियों और चालीस बच्चों की बातें करते हैं।
इससे कुछ दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी थी कि राजनीतिक दल और उम्मीदवार धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांग सकते। उत्तर प्रदेश में पहले चरण का मतदान 11 फरवरी को होना है। विपक्षी दलों ने इस बयान के लिए भाजपा सांसद की तीखी आलोचना की। कांग्रेस ने भी इस मामले में चुनाव आयोग में शिकायत की है।