आगरा. आरएसएस का फरमान योगी सरकार और पुलिस से दूर रहें स्वयंसेवक. आगरा के फतेहपुर सीकरी में बजरंग दल कार्यकर्ताओं द्वारा पुलिसकर्मियों पर हमले और सहारनपुर में एसएसपी दफ्तर पर बीजेपी विधायक द्वारा हमले की घटना के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक्शन में आ गया है.
संघ आला कमान की तरफ से संगठन के सभी पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि पुलिस और सरकार से सीधे संपर्क करने से बचें. संघ के पूर्वी क्षेत्र के एक पदाधिकारी के अनुसार निर्देश दिए गए हैं कि राज्य सरकार को किसी भी प्रकार से ‘परेशान’ न किया जाए.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने तमाम महत्वपूर्ण कार्यों के लिए 100 दिन का लक्ष्य बनाया है इसलिए सरकार को कार्य करने दिया जाए.
उन्होंने बताया ‘परेशान’ करने से मतलब ‘दबाव’ नहीं बनाने से है. बताया कि संघ के नेताओं और स्वयंसेवकों को निर्देश हैं कि सरकार या उसके किसी भी मंत्री, अफसर आदि पर ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर दबाव नहीं बनाया जाए. इस में किसी मामले में एफआईआर दर्ज करने या मामले की अंतिम रिपोर्ट लगाने को लेकर दबाव बनाना भी शामिल है.
हालांकि संघ की तरफ से राज्य सरकार को किसी मुद्दे पर पॉलिसी बदलने आदि की राय जरूर दी जा सकती है लेकिन इसको लेकर किसी भी प्रकार का विरोध या दबाव नहीं बनाया जाए.
उन्होंने कहा कि हाल ही में लखनऊ सहित प्रदेश की अन्य जगहों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा यूनिवर्सिटी और कॉलेजों मं फीस बढ़ोत्तरी को लेकर धरना दिया गया था. यही नहीं गौरक्षकों से जुड़ी कुछ घटनाओं के कारण भी सरकार की किरकिरी हुई है. इन संगठनों को निर्देश हैं कि अति उत्साह से बचें.
संघ की तरफ से इस संबंध में पिछले दिनों सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और कृष्णगोपाल के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र प्रचारक शिवनारायण व पश्चिम क्षेत्र के प्रचारक आलोक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात की. इस बैठक में बीजेपी की तरफ से राष्ट्रीय महासचिव संगठन रामलाल और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर व सुनील बंसल ने भी हिस्सा लिया.
मीटिंग के बाद संघ के नेता ने बताया कि किसी भी राज्य में इस तरह की समन्वय बैठक एक सामान्य प्रक्रिया है. हालांकि संघ ने इस दौरान योगी सरकार को भी कहा है कि कार्यकर्ताओं के मनोबल का ध्यान रखें. कारण ये है कि पिछले 15 साल तक विपरीत परिस्थतियों में बीजेपी इन्हीं कार्यकर्ताओं के बल पर प्रदेश में राजनीति करती आ रही थी.
इसके अलावा सरकार और संगठन में तालमेल के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व में प्रदेश स्तरीय कोर कमेटी का गठन किया गया है. इस कोर कमेटी में संगठन के साथ ही आला मंत्रियों को भी रखा गया है. इसके अलावा जिला स्तर पर कई मंत्रियों को प्रभारी बनाया गया है.
संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि सरकार गठन के एक महीने से अधिक पूरा होने के बाद अब कार्यकर्ताओ में धीरे-धीरे सत्ता के प्रति आकर्षण का भाव पैदा हो रहा है, जिसके कारण उनकी अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं. अभी हमारे सामने निकाय चुनाव की चुनौती है. पार्टी के सत्तासीन होने के कारण इस बार निकाय चुनाव में टिकट को लेकर अधिक मारामारी रहेगी. इससे निपटने के लिए ही कोर कमेटी गठित की गई है.
इस कोर कमेटी में सीएम योगी आदित्य नाथ के अलावा डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, संगठन मंत्री सुनील बंसल, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना और औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना शामिल हैं.
दरअसल संघ के आलाधिकारियों को लग रहा है कि निकाय चुनाव तो भाजपा के लिए चुनौती है ही, बल्कि उससे बड़ी चुनौती दो साल बाद होने वाला लोक सभा का चुनाव है. संघ को पता है कि भाजपा को खतरा विपक्ष से ज्यादा अपने कार्यकर्ताओं से रहता है.