एक नए अध्ययन से पता चलता है कि पर्याप्त नियमित नींद लेने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा कम हो सकता है।
संयुक्त राज्य अमरीका में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों ने अनियमित मात्रा में नींद ली और उनकी यह नींद औसत दैनिक नींद की अवधि 60 मिनट से अधिक थी, इन लोगों में नियमित रूप से सोने वाले लोगों की तुलना में मधुमेह विकसित होने की संभावना कम पाई गई।
शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि मधुमेह से बचाव के लिए नियमित नींद बेहद महत्वपूर्ण है।
अधूरी नींद ही एकमात्र समस्या नहीं है जो मधुमेह के जोखिम को बढ़ा सकती है लेकिन वैज्ञानिक शोध के आधार पर बताते हैं कि पर्याप्त नींद न लेने के अलावा, खराब नींद की गुणवत्ता भी शरीर के मेटाबोलिज्म को बाधित कर सकती है और बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकती है।
अपर्याप्त नींद से मधुमेह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इससे हार्मोन में परिवर्तन होता है जिससे वजन बढ़ता है तथा व्यवहार और जीवनशैली में परिवर्तन होता है।
अध्ययन से पता चला है कि जीवनशैली में बदलाव से मधुमेह के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है। शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि मधुमेह से बचाव के लिए नियमित नींद बेहद महत्वपूर्ण है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि शोध के नतीजे टाइप 2 मधुमेह के खतरों को कम करने में नियमित नींद के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि शरीर की सर्कैडियन घड़ी पैंक्रियाज़ से इंसुलिन के उत्पादन और रिलीज के समय को प्रभावित करके इस चक्र को निर्देशित करती है। और दिन के कुछ निश्चित समय भी प्रतीत होते हैं जब कोशिकाएँ इंसुलिन के प्रति अधिक और कम संवेदनशील होती हैं।
आगे वह बताते हैं कि सर्कैडियन घड़ियों में व्यवधान अकसर नींद की समस्याओं के कारण होता है। ये इंसुलिन की प्रभावशीलता को कम करते हैं। क्योंकि इंसुलिन का काम रक्त शर्करा को नियंत्रित करना है, इंसुलिन में परिवर्तन रक्त शर्करा में परिवर्तन पैदा करते हैं।
अपने इस अध्ययन के दौरान इन शोधकर्ताओं ने पहले प्रतिभागियों की सात रातों तक नींद की निगरानी की और फिर अगले सात वर्षों तक उन पर नज़र रखी।