रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें प्रमुख पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह पिछले कुछ महीनों से फेफड़ों की बीमारी और निमोनिया से पीड़ित थे।
वेटिकन कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फैरेल ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए कहा कि आज सुबह 7:35 बजे रोम के बिशप फ्रांसिस अपने सच्चे सृष्टिकर्ता से मिले।
पोप फ्रांसिस के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने अपने सन्देश में कहा कि उन्हें दुनिया भर के लाखों लोग हमेशा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद रखेंगे। छोटी उम्र से ही उन्होंने प्रभु ईसा मसीह के आदर्शों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया था।
पोप फ्रांसिस पिछले कुछ महीनों से फेफड़ों की बीमारी और निमोनिया से पीड़ित थे। फिर भी, उन्होंने ईस्टर रविवार, 20 अप्रैल 2025 को सेंट पीटर्स स्क्वायर में “उर्बी एट ओर्बी” (Urbi et Orbi) प्रार्थना भी की।
वेटिकन के अनुसार, पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार सांता मारिया मैगीगोर के बेसिलिका (Basilica of Santa Maria Maggiore) में होगा, जिसका निर्देश उन्होंने स्वयं अपनी वसीयत में दिया था।
14 फरवरी 2025 को उन्हें रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती किया गया था, और मार्च 2025 में डिस्चार्ज होने के बाद भी उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। निधन से एक दिन पहले पोप फ्रांसिस ने ईस्टर संडे पर सेंट पीटर स्क्वायर में लोगों को आशीर्वाद दिया और अमरीकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाकात भी की थी।
वेटिकन के बयान में पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि देते हुए कहा गया कि उनका पूरा जीवन ईश्वर और चर्च की सेवा के लिए समर्पित था।
पोप फ्रांसिस का वास्तविक नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था। उनका जन्म ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में हुआ था और वे 2013 में पोप चुने गए थे।
वह न केवल पहले लैटिन अमरीकी थे बल्कि पहले जेसुइट पोप भी थे। पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल के दौरान चर्चों और पोपाइयत में सुधार के लिए उल्लेखनीय कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने सामाजिक न्याय और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी ठोस कदम उठाए। गौरतलब है कि वेटिकन के बाहर दफनाए जाने वाले वह पहले पोप होंगे। दुनियाभर से उनकी मृत्यु पर शोक सन्देश आ रहे हैं।