बदलते मौसम के साथ प्रदूषण बढ़ने के हालात भी बनने लगे हैं। दीवाली और शादी के मौसम के चलते होने वाली आतिशबाज़ी और गिरते तापमान से ये समस्या और ज़्यादा हो जाती है। घनी आबादी वाले शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि घुटन से सांस लेना मुश्किल होने लगता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट https://app.cpcbccr.com/AQI_India/ से देखने पर जो जानकारी मिली उसके अनुसार 19 अक्टूबर की सुबह 10 बजे लखनऊ में एयर क्वालिटी इंडेक्स 185 रहा।
आगरा में 179, बरेली में 193, वाराणसी में 160, प्रयागराज में 127, कानपुर में 211, गोरखपुर में 166 और मेरठ में 373 पाया गया। इसमें सबसे खराब स्थिति मेरठ की पाई गई है।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों की के एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो आज बुधवार सुबह की पड़ताल में सबसे बुरी स्थिति हापुड़ की रही। पूरे देश में 177 शहरों में के प्रदूषण की जांच में हापुड़ का एक्यूआई 299 दर्ज हुआ। इस इंडेक्स में मेरठ और मुजफ्फरनगर दूसरे सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहे। इन दोनों शहरों का एक्यूआई सूचकांक 298 रहा। ये तीनों शहर मेरठ-सहारनपुर मंडल से हैं।
नोट-
0-50 सूचकांक वाले एक्यूआई ठीक माना जाता है।
51-100 सूचकांक को बेहतर मानते हैं।
101-200 सूचकांक को संतुलित के दर्जे में रखते हैं। इसमें साँस के मरीज़ों को तकलीफ हो सकती है
201-300 का सूचकांक खराब परिस्थिति दर्शाता है।
301-400 का सूचकांक बहुत खराब के संकेत देता है।
401-500 सूचकांक को गंभीर माना जाता है जिसमे बीमार लोग और भी गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं। साथ ही स्वस्थ लोगों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।