हमारा ग्रह कई चीजों से प्रदूषित हो चुका है। उनमें से एक है माइक्रोप्लास्टिक। प्लास्टिक के छोटे कण जो हमारे भोजन और पानी की आपूर्ति में पाए जाते हैं। इन्हें मनुष्यों के लिए सबसे हानिकारक पदार्थों में से एक माना जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। एक नए शोध से पता चलता है कि प्लास्टिक की बोतल से पानी पीने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
एक अन्य अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक की बोतलों में मौजूद तरल पदार्थ में भी माइक्रोप्लास्टिक पाए गए हैं। इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि ये कण है ब्लड प्रेशर से जुड़े हैं, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।
एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ कि शोध प्रतिभागियों में ब्लड प्रेशर, तब कम हो गया जब उन्होंने प्लास्टिक की बोतलों के पानी सहित सभी तरल पदार्थों का सेवन बंद कर दिया और दो सप्ताह तक केवल नल का पानी पिया।
‘माइक्रोप्लास्टिक्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में अब पाया गया है कि प्लास्टिक की बोतलों से पीने से रक्तप्रवाह में प्रवेश करने वाले माइक्रोप्लास्टिक के कारण रक्तचाप बढ़ सकता है।
ऑस्ट्रिया की डेन्यूब प्राइवेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला है कि प्लास्टिक की बोतलों में पेय पदार्थों से बचना चाहिए।
शोध के परिणाम पहली बार दिखाते हैं कि प्लास्टिक की खपत को कम करने से रक्तचाप कम हो सकता है, संभवतः रक्त में प्लास्टिक के कणों की कमी के कारण, जिससे हृदय संबंधी स्वास्थ्य जोखिम कम हो सकते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक को मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक माना जाता है, जो हृदय संबंधी समस्याओं, हार्मोन असंतुलन और यहां तक कि कैंसर से भी जुड़ा हुआ है। कुछ वर्ष पहले, वैज्ञानिकों ने खुलासा किया था कि बोतलों में पैक तरल पदार्थों के माध्यम से हर सप्ताह 5 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक्स मनुष्य के रक्तप्रवाह में प्रवेश करता है।