नई दिल्ली। भारतीय सेना के बाद पाकिस्तानी सेना जानबूझकर नागरिकों को निशाना बना रही है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार सर्जिकल स्ट्राइक की घटना के बाद पाकिस्तान अपना सम्मान बचाने में लगा हुआ है। पाकिस्तान ने बदला लेने के लिए अपनी सेना को बीएसएफ और सेना के साथ ही नागरिकों को भी निशाना बनाने के लिए कहा है। pakistan rangers
वहीं भारत की ओर से भी युद्धविराम तोड़े जाने का माकूल जवाब दिया जा रहा है। इसके चलते पाकिस्तानी रेंजर्स को पीछे हटना पड़ा। यही कारण है कि वर्तमान में सीमा पर शांति हैं। गृह मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, ”हमारे सुरक्षाबलों ने ना तो सीजफायर तोड़ने की शुरुआत की और ना ही नागरिकों को निशाना बनाया। वे इस तरह जवाब देते हैं कि उससे केवल पाकिस्तानी चौकियां और आतंकियों को कवर फायर देने वाले पाक रेंजर्स ही निशाना बनते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीएसएफ को वर्तमान में पाकिस्तानी सेना, पाक रेंजर्स और आतंकियों तीनों का सामना करना पड़ रहा है। बीएसएफ इन तीनों को माकूल जवाब दे रही है जिसके चलते पाकिस्तान रेंजर्स को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। अधिकारियों के अनुसार दिवाली से दो दिन पहले पाकिस्तानी सेना और रेंजर्स ने जम्मू के अखनूर में इंडियन बॉर्डर आउटपोस्ट को निशाना बनाया।
इसके बाद बीएसएफ ने इस तरह से जवाबी हमला किया कि पाकिस्तानी रेंजर्स सफेद झंडे लहराने के लिए मजबूर हो गए ताकि भारतीय पक्ष की ओर से फायरिंग बंद की जाए। भारतीय जवाबी कार्रवाई में कई पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। अधिकारी ने बताया, ‘रेंजर्स ने जब सफेद झंडे दिखाए और बातचीत की मांग की तो बीएसएफ ने फायरिंग बंद की। रेंजर्स को साफ तौर पर यह बता दिया गया कि बातचीत सिर्फ कमांडर लेवल पर संभव है।’ इसके बाद से ऐसी कोई खबर नहीं आई कि रेंजर्स ने दोबारा से भारतीय पोस्ट को निशाना बनाया।
अधिकारी ने बताया कि यह पाकिस्तान की पुरानी आदत है। जब उनके सुरक्षाबलों को यह लगने लगता है कि वे भारतीय प्रतिक्रिया का जवाब नहीं दे सकते तो शांति की बात करने लगते हैं। इस साल पाकिस्तान की ओर से सीजफायर तोड़ने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। 2015 में पाक की ओर से 405 सीजफायर उल्लंघन के मामले सामने आए थे। वहीं इस साल अब तक 500 मामले हो चुके हैं। इनमें से दो तिहाई घटनाएं पिछले 40 दिन में हुई हैं। सिर्फ जम्मू में ही इस साल सीजफायर के 200 मामले दर्ज किए गए।