नारायणपुर। गांव के बाहर खुले में शौच जाना अब लोगों के मुश्किल हो गया है। बड़ों की खुले में शौच की आदत को छुड़ाने के लिए बच्चों ने कमर कस ली है। जैसे ही कोई व्यक्ति खेत, तालाब या किसी स्थान पर खुले में शौच करता दिखता है, बैंड की धुन के साथ सिटी बजना शुरू हो जाती है। यह बड़ा काम नारायणपुर के छोटे से गांव करलखा के छोटे छोटे बच्चे कर रहे हैं। open defecation
धुर नक्सल प्रभावित करलखा गांव में बच्चा पार्टी ने एक टीम बना रखी है। इस टीम में स्कूली बच्चों के अलावा कुछ बड़ों को भी शामिल किया गया है।
बच्चा पार्टी अपने साथ बैंड बाजा और सिटी रखती है इसके बाद सुबह और शाम नियमित तौर पर यह दल गांव के आसपास भ्रमण करता है।
इस दौरान यदि कोई व्यक्ति शौच करता दिख जाता है तो तुरंत ही बैंड बजाया जाता है और साथ में सीटियां भी फूंकी जाती हैं। शोर होते ही खुले में शौच करने वाला व्यक्ति मौके से उठ जाता है।
इस दौरान कुछ बच्चे उत्साह में डांस भी करते हैं।
दल में गांव के उपसरपंच कैलाश चंद्र चुरेंद्र भी शामिल हैं।
कैलाश बताते हैं कि गांव के स्कूल में पडऩे वाले करीब 25 30 बच्चों ने इस अभियान की शुरूआत की है।बच्चों की इस मुहिम का असर गांव में दिखने लगा है।
लोग अब घर पर बने शौचालयों को उपयोग करना शुरू कर रहे हैं।करलखा गांव के करीब करीब हर घर में शौचालय का निर्माण पूरा हो चुका है। घरों में शौचालय बनने के बाद भी लोग खुले में शौच करने के लिए सुबह शाम निकल रहे थे, इसलिए इस आइडिया को अंजाम दिया गया। गांव के बच्चों को यह बात काफी खलती थी।
इसके बाद उन्होंने जागरूकता दल बनाने का निर्णय लिया।इस दल के प्रेरक गांव के प्रशांत यदु हैं। इनके नेतृत्व में ही बच्चे इस काम को अंजाम दे रहे हैं।लोगों को खुले में शौच करने से रोकने के लिए बच्चों का दल रोजाना सुबह 5 बजे ही गांव की सडकों पर निकल जाता है। नियमित तौर पर सुबह 5 से 7 बजे तक बच्चे बैंड और सीटियां लेकर घूमते हैं।
इस दौरान ठंड ज्यादा हो या कम इस बात का फर्क बच्चों पर नहीं पड़ता है। दल में शामिल 5 वीं का छात्र नागेश कहता है कि गांव में लोगों के घर में शौचालय तो है लेकिन वह इसका उपयोग ही नहीं कर रहे थे। काफी समझाने के बाद भी जब बड़े लोगों ने हमारी बात नहीं मानी तो हमने बैंड वाला आइडिया निकाला।