हड्डी और मांसपेशी से जुडी समस्याएं चिंताजनक दर से बढ़ रही हैं। अगले तीन दशकों में इन मामलों के दोगुने होने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि 2050 तक दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग मस्कुलोस्केलेटल, हड्डी, जोड़ और रीढ़ की बीमारियों से पीड़ित होंगे ये संख्या 2020 में आधा अरब से अधिक है।
द लैंसेट रुमेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, अगले 30 वर्षों में जोड़ों, मांसपेशियों और हड्डियों की बीमारियों में 115% की वृद्धि होगी।
हड्डियों और जोड़ों की समस्याओं में वृद्धि के लिए विभिन्न कारक जिम्मेदार हो सकते हैं और जीवनशैली में कुछ बदलाव करने से इन समस्याओं को रोकने या कम करने में मदद मिल सकती है।
सबसे पहले, जोड़ों के दर्द या चलने-फिरने में समस्या जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए और जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। दूसरे, अनुचित मुद्रा से बचना चाहिए और हड्डियों और मांसपेशियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए।
1 billion people to suffer from bone and joint disorders; 6 lifestyle measures to reduce riskhttps://t.co/wXVczfYmkm
— HT Lifestyle (@htlifeandstyle) November 25, 2023
आर्थोपेडिक जानकार इस संबंध में कहते हैं कि विविध जीवनशैली के रहते हुए मस्कुलोस्केलेटल विकारों में वृद्धि से निपटना सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, लगातार जोड़ों में दर्द या सीमित गतिशीलता जैसे शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। नियमित शारीरिक गतिविधि, संतुलित आहार और स्वस्थ वजन बनाए रखना इससे बचाव के लिए बेहतर उपाय हैं।
एक्सपर्ट के मुताबिक़ इन बीमारियों और उनके उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने से, विशेष रूप से गतिहीन पेशेवरों के बीच, जोखिमों को काफी कम किया जा सकता है। व्यायाम की नियमितता और शारीरिक गतिविधि अपनाना जोड़ों के स्वास्थ्य की गारंटी देती है।
इसके अलावा, यदि जोड़ों और हड्डियों से संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत मेडिकल एडवाइस लेना बहुत जरूरी है। जागरूकता को बढ़ावा देना और स्वस्थ मस्कुलोस्केलेटल प्रणाली को बनाए रखना एक स्वस्थ भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।