बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने नरेन्द्र मोदी सरकार द्बारा न्यायपालिका को बार-बार अपमानित करने व उसे नीचा दिखाने की प्रवृत्ति की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि कार्यपालिका का न्यायपालिका के साथ ऐसा विद्बेषपूर्ण बर्ताव सही नहीं है तथा प्रतिपक्षी पार्टियों के साथ-साथ देश की न्यायपालिका के प्रति भी यह केन्द्र सरकार की हठधर्मिता और निरंकुशता का प्रतीक हैं।
मायावती ने कहा कि स्वयं कानून मंत्री और अन्य केन्द्रीय मंत्रियों ने भी बार-बार सार्वजनिक तौर पर यह कहा कि केन्द्रीय कानून मंत्रालय कोई डाकघर नहीं है जो जजों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश पर आंख बन्द करके अमल करता रहें। केन्द्र सरकार के इस प्रकार के दु:खद रवैये के कारण न्यायपालिका आज अभूतपूर्व संकट झेल रही हैं।
मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार का कानून मंत्रालय अगर पोस्ट आफिस (डाकघर) नहीं है तो उसे पुलिस थाना (कोतवाली) बनने का भी अधिकार कानून व संविधान ने नहीं दिया हैं। केन्द्र सरकार के मंत्री व भाजपा के नेता बार-बार यह कहते हैं कि 2016 में 126 जजों की नियुक्ति करके केन्द्र सरकार ने कमाल का काम किया है, लेकिन पहले 300 से ज्यादा जजों के पदों को खाली लटकाये रखना और फिर उसके बाद 126 जजों की नियुक्ति करना यह कौन सा जनहित व देशहित का काम हैं।
मायावती ने कहा कि भाजपा के मंत्रीगण अगर न्यायपालिका का पूरा-पूरा आदर-सम्मान नहीं कर सकते तो कम-से-कम उसका अपमान भी नहीं करें। केन्द्रीय मंत्रालयों में उच्च पदों पर दलितों, आदिवासियों व पिछड़े वर्ग के अधिकारियों की तैनाती नहीं करने के मामले में भी नरेन्द्र मोदी सरकार का रवैया पूर्ववती कांग्रेस सरकारों की तरह ही जातिवादी व द्बेषपूर्ण बना हुआ है।