दुनिया भर के वैज्ञानिक जहरीली और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भरता कम करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ वैकल्पिक स्रोत खोजने की कोशिश कर रहे हैं।
इनमें से एक स्रोत बायोडीजल है, जो खाद्य और असंसाधित तेल, जानवरों की चर्बी या रेस्तरां में उपयोग किए जाने वाले वनस्पति तेल जैसे जैविक घटकों से बनाया जाता है। बायोडीजल एक स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत है क्योंकि यह रिन्यूएबल होने के साथ-साथ बायोडिग्रेडेबल भी है।
जर्नल ऑफ एनालिटिकल एंड एप्लाइड पायरोलिसिस में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, लिथुआनिया में कौनास यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने लिथुआनियाई एनर्जी इंस्टीट्यूट के सहयोग से सिगरेट बट्स का उपयोग करके ट्रिस्टेन बनाने की एक विधि विकसित की है।
अध्ययन के मुख्य लेखक समी यूसुफ का कहना है कि हम रीसाइक्लिंग और अपशिष्ट प्रबंधन विषयों पर काम कर रहे हैं, इसलिए हम हमेशा ऐसे कचरे की तलाश में रहते हैं जिसमें बड़ी मात्रा और एक अद्वितीय पैटर्न हो।
Scientists devise way to convert toxic cigarette butts into green fuel
Read: https://t.co/WiEiihGlQVhttps://t.co/WiEiihGlQV— WION (@WIONews) December 26, 2023
हालाँकि, बायोडीजल का महंगा उत्पादन इसके व्यापक उपयोग में बाधा है। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस समस्या का समाधान सिगरेट फिल्टर में ढूंढ लिया है।
पिछले अध्ययनों से पता चला है कि बायोडीज़ल में ट्राइग्लिसराइड ट्राईसेटिन जैसे यौगिकों को जोड़ने से वायु प्रदूषण को कम करके और इसके जलने की अवधि को बढ़ाकर ईंधन की दक्षता बढ़ जाती है।
ट्राईसिटान का उत्पादन पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। इसे बनाने में कई रसायनों का उपयोग किया जाता है, जिससे बड़ी मात्रा में जहरीले पदार्थ पैदा होते हैं।
उन्होंने कहा कि सिगरेट तीन सामग्रियों (तंबाकू, कागज और सेलूलोज़ एसीटेट फाइबर से बना एक फिल्टर) से बनी होती है और कच्चे माल और ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत है। इसके अलावा, सिगरेट के टुकड़े इकट्ठा करना आसान है क्योंकि कई कंपनियां इस कचरे को इकट्ठा कर रही हैं। समी यूसुफ ने अपनी जानकारी में इस बात का भी खुलासा किया कि यह सभी वस्तुएं वास्तव में उपयोग योग्य हैं।
वैज्ञानिकों ने इन टुकड़ों को 650, 700 और 750 डिग्री सेल्सियस पर डिज़ोल्व करने के लिए पायरोलिसिस प्रक्रिया का उपयोग किया। कई प्रयोग करने के बाद विशेषज्ञों के ध्यान में आया कि ट्राईएसिटिन की अधिकतम मात्रा (43 प्रतिशत) 750 डिग्री सेल्सियस पर प्राप्त होती है। इसके अलावा 38 प्रतिशत तेल, 25.7 प्रतिशत कोयला और 36.4 प्रतिशत गैस भी प्राप्त हुई।