प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बीच चीन और पाकिस्तान को लेकर चर्चा होने वाली है। दोनों देश इस द्विपक्षीय मुलाकात के साथ संबंधों का एक नया अध्याय शुरू करने को तैयार है।
बोरिस जॉनसन की यात्रा के दौरान भारत को उम्मीद है कि ब्रिटेन पाकिस्तान और चीन पर अपनी स्थिति की समीक्षा करने के साथ ऐसा रुख भी अपनाएगा जो लोकतंत्र के लिए उपयुक्त हो। इस बीच जॉनसन गुजरात में गुरुवार को एक कारखाने का उद्घाटन करेंगे और शुक्रवार को दिल्ली में आधिकारिक बैठक।
भारतीय नेतृत्व यूक्रेन युद्ध पर बोरिस जॉनसन के साथ एक स्पष्ट चर्चा करेगा। जबकि भारत तालिबान और हक्कानी आतंकवादियों को काबुल में सत्ता पर कब्जा करने और उसमें अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों को नष्ट करने के लिए पाक और ब्रिटेन की सेना के बीच गठबंधन के संकेत देना चाहेगा।
इस दौरान यूके स्थित खालिस्तान समर्थक समूहों द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में किसानों के आंदोलन को वित्तपोषित व समर्थन करने में निभाई गई भूमिका को भी उठाया जाएगा।
रूसी कुलीन वर्गों की संपत्ति को जब्त करने में ब्रिटेनअपने देश में सक्रिय रहा है। मोदी सरकार को उम्मीद है कि ब्रिटेन दो भारतीय भगोड़ों विजय माल्या और नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए और अधिक समर्थन करेगा।