मुंबई। मुंबई पुलिस ने विवादास्पद धर्म प्रचारक डॉ. जाकिर नाइक एवं उनके संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आइआरएफ) से संबंधित जांच रिपोर्ट महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्रालय को सौंप दी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस बताया है कि रिपोर्ट में आईआरएफ से संबंधित कई आपत्तिजनक तथ्यों का जिक्र किया गया है।
डॉ. जाकिर नाइक पीस टीवी चैनल के जरिये इस्लाम धर्म का प्रचार करने के लिए जाने जाते हैं। एक जुलाई को बांग्लादेश के ढाका में हुए आतंकी हमले के बाद वहां के एक अखबार ने लिखा था कि हमलावर आतंकियों में से एक डॉ. नाइक के भाषणों से प्रभावित था। उसके बाद से ही डॉ. नाइक भारतीय जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं।
केंद्र सरकार के निर्देश पर महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पुलिस को नाइक के पिछले 10 वर्षों के भाषणों की जांच करने को कहा था। इसके अलावा डॉ. नाइक द्वारा मुंबई में स्थापित संस्था आईआरएफ की गतिविधियों की भी जांच का निर्देश दिया था। मुंबई पुलिस ने पिछले महीने शुरू की गई जांच की रिपोर्ट मंगलवार को राज्य के गृह मंत्रालय को सौंप दी। गृह मंत्रालय के प्रभारी स्वयं मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने कहा है कि रिपोर्ट में आइआरएफ से संबंधित कई आपत्तिजनक और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने तथ्य सामने आए हैं।
पूरी रिपोर्ट की गंभीरता से जांच करने के बाद इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपा जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय से विचार-विमर्श के बाद ही आईआरएफ एवं डॉ. नाइक पर कार्रवाई की योजना बनाई जाएगी। डॉ. नाइक अभी विदेश में हैं, और इस वर्ष भारत लौटने की कोई योजना नहीं है। पिछले महीने 15 जुलाई को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये उन्होंने मुंबई के पत्रकारों से लंबी बातचीत की थी। नाइक ने हर तरह के आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा था कि फिलहाल किसी भारतीय जांच एजेंसी ने उनसे संपर्क नहीं किया है। पुलिस या जांच एजेंसी के संपर्क करने पर वह जांच में पूरा सहयोग देंगे।
इस बीच मुंबई के नागपाड़ा पुलिस थाने में आइआरएफ के एक कर्मचारी और तीन अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। ये प्राथमिकी गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून और आपराधिक साजिश (120 बी) के तहत दर्ज की गई है। इससे डॉ. जाकिर नाइक की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जाकिर नाइक द्वारा संचालित एनजीओ के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। एनजीओ पर विदेशी चंदा (नियमन) कानून का उल्लंघन करने का आरोप है। मुंबई स्थित आइआरएफ को सवाल भेजे गए हैं। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि एनजीओ को 2012 के पहले पांच वर्षों तक 15 करोड़ रुपये विदेशी चंदा मिला था। आइआरएफ को अपना बैंक का ब्योरा के साथ ही एफसीआरए खाता और विदेशी चंदा के इस्तेमाल के बारे में जानकारी सौंपने को कहा गया है।