तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने के मकसद से लाया गया तीन तलाक बिल लोकसभा में पास कांग्रेस ने इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की, भाजपा ने मुस्लिम महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कदम बताया
संशोधनों पर वोटिंग से पहले कांग्रेस और एआईएडीएमके ने सदन से वॉकआउट किया, अब राज्यसभा में पेश होगा बिल
मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने के मकसद से लाया गया ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ लोकसभा में पास हो गया। हालांकि, इसके कुछ प्रावधानों का विरोध करते हुए कांग्रेस ने इसे संयुक्त प्रवर समिति में भेजने की मांग की तो सत्तारूढ़ भाजपा ने इसे मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उठाया गया ऐतिहासिक कदम करार दिया। संशोधनों पर वोटिंग से पहले कांग्रेस और एआईएडीएमके ने सदन से वॉकआउट किया। इसके बाद सदन में वोटिंग हुई।
पक्ष में 245 वोट पड़े
तीन तलाक विधेयक के पक्ष में 245 और 11 वोट पड़े। तीन तलाक में वोटिंग पर ओवैसी का प्रस्ताव गिरा। ओवैसी की तरफ से लाए गए प्रस्ताव को सदन से मंजूरी नहीं मिली। वोटिंग में ओवैसी के प्रस्ताव के समर्थन में 15 वोट पड़े जबकि 236 सांसदों ने प्रस्ताव का विरोध किया।
कांग्रेस ने किया विरोध
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ नहीं है, लेकिन सरकार के ‘मुंह में राम बगल में छूरी’ वाले रुख के विरोध में है क्योंकि सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनका सशक्तीकरण की नहीं, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को दंडित करने की है।