बर्मिंघम: एक नए अध्ययन के अनुसार, जो बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में कम सोते हैं, उनमें बचपन में मनोविकृति (psychosis in childhood) विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
मनोविकृति एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति का वास्तविकता से संबंध टूट जाता है और वास्तविकता को पहचानना मुश्किल हो जाता है। इस समस्या के पीड़ित को कभी-कभी ऐसी चीजें देखने और सुनने को मिलती हैं जो सामान्य व्यक्ति के अवलोकन में नहीं होती हैं।
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने छह महीने से सात साल की उम्र के बच्चों की नींद की अवधि के आंकड़ों का अध्ययन किया।अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे नियमित रूप से कुछ घंटों की नींद लेते हैं, उनमें बचपन में मनोवैज्ञानिक समस्याएं विकसित होने की संभावना दोगुनी होती है और भरपूर नींद लेने वालों की तुलना में मनोवैज्ञानिक समस्याएं होने की संभावना लगभग चार गुना अधिक होती है
Childhood sleep problems linked to psychosis in young adults – study https://t.co/34cV6bXfaS
— Irish Examiner (@irishexaminer) May 9, 2024
अध्ययन की मुख्य लेखिका डॉ. इसाबेल मुरिएल्स-मुनोज़ ने कहा कि बचपन में बच्चों में नींद की समस्या होना आम बात है, लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि बच्चे को कब मदद की आवश्यकता हो सकती है।
उन्होंने कहा कि कभी-कभी नींद स्थायी और पुरानी समस्याओं का कारण बन सकती है और यहीं पर बचपन की मानसिक बीमारी का संबंध देखा जा सकता है।
आगे वह कहती हैं कि अच्छी खबर यह है कि हम जानते हैं कि हमारी नींद के पैटर्न और व्यवहार में सुधार करना संभव है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पहला अध्ययन है जो दर्शाता है कि लगातार नींद की कमी मनोविकृति का एक मजबूत पूर्वानुमान है।