नई दिल्ली : पाकिस्तान पर परोक्ष तौर पर हमला करते हुए भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अन्य देशों के खिलाफ आतंकवाद प्रायोजित करने के लिये देशों द्वारा धर्म का इस्तेमाल करने के प्रयासों की निंदा की है और इस समस्या से निपटने के लिए ‘रत्ती भर भी बर्दाश्त’ नहीं करने की नीति अपनाकर आतंकवाद से निपटने में सहयोग का संकल्प लिया। Joint
भारत-यूएई के संयुक्त वक्तव्य में आज (गुरुवार, 26 जनवरी) बताया गया कि दोनों पक्षों ने घृणा फैलाने और आतंकवाद के कृत्यों अंजाम देने के लिए समूहों और देशों द्वारा चरमपंथ और धर्म का दुरुपयोग करने के प्रयासों से निपटने के प्रयासों का समन्वय तरीके से मुकाबला करने पर सहमति जताई।
शांति और सुरक्षा को आतंकवाद से साझा खतरे को स्वीकार करते हुए दोनों देशों ने जहां कहीं भी आतंकवादी कृत्य किए जाएं और जो भी करे उसके सभी स्वरूपों का जोरदार विरोध और निंदा करने का संकल्प जताया और घोषणा की कि कहीं भी आतंकवाद का समर्थन नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अबु धाबी के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने बुधवार (25 जनवरी) को द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक वार्ता की थी। इसके बाद दोनों देशों ने एक व्यापक रणनीतिक भागीदारी समझौते और रक्षा, सुरक्षा, व्यापार एवं ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक दर्जन से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।
पाकिस्तान का नाम लिए बिना वक्तव्य में कहा गया, ‘दोनों पक्ष अन्य देशों के खिलाफ आतंकवाद को उचित ठहराने, वैध ठहराने और प्रायोजित करने में धर्म का इस्तेमाल करने के प्रयासों की निंदा करते हैं।’
वक्तव्य में कहा, ‘उन्होंने साथ ही राजनैतिक मुद्दों को धार्मिक और सांप्रदायिक रंग देने के देशों के प्रयासों की भी निंदा की और तथाकथित सरकार से इतर तत्वों की गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए सभी देशों की जिम्मेदारी की ओर ध्यान दिलाया।’
वक्तव्य में कहा गया कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद की समस्या के प्रति रत्ती भर भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाकर आतंकवाद से निपटने में सहयोग के लिए अपने स्पष्ट संकल्प को व्यक्त किया।
आतंकवाद निरोध, सूचना साझा करने और क्षमता निर्माण में बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग पर संतोष जताते हुए दोनों पक्षों ने विश्वास जताया कि ये प्रयास क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और सुरक्षा में योगदान देंगे।
वक्तव्य में कहा गया, ‘दोनों पक्षों ने चरमपंथीकरण और समूहों और देशों द्वारा घृणा भड़काने और आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने में धर्म का दुरुपयोग किए जाने से निपटने के लिए प्रयासों को समन्वित करने पर सहमति जताई।’
आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ से पैदा खतरों पर गंभीर चिंता जताते हुए दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि आतंकवादियों और उनकी गतिविधियों के लिए जो सुरक्षित पनाह प्रदान किए जाते हैं उनका सफाया करने के लिए अवश्य ठोस और भरोसेमंद कदम उठाए जाने चाहिए।
भारतीय पक्ष ने जनवरी 2016 में पठानकोट में भारतीय वायु सेना के ठिकाने और सितंबर 2016 में उरी में सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद यूएई द्वारा दिखाई गई एकजुटता की काफी सराहना की।
वक्तव्य में कहा गया कि मोदी और अल नाहयान ने काबुल और कंधार में 10 जनवरी को हुए आतंकवादी हमलों की जोरदार निंदा की और अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इन हमलों में यूएई और अफगानिस्तान के नागरिकों की हुई मौत पर अपनी तरफ से शोक प्रकट किया और हमलों में घायल यूएई के राजनयिकों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
दोनों नेताओं ने समाजों के भीतर और उनके बीच समावेशिता, खुलापन और सहिष्णुता की संस्कृति को प्रोत्साहन देने के महत्व पर जोर दिया और उग्रवाद, आतंकवाद और धार्मिक असहिष्णुता जैसी वैश्विक बुराइयों से निपटने के लिए करीब से साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई।
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