जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने शनिवार को भारत-पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद व सरदार पटेल जिम्मेदार बताया है.
फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि जिन्ना नहीं चाहते थे कि भारत का बंटवारा हो और पाकिस्तान बने. लेकिन जिन्ना उस कमीशन की बात मानने के पक्ष में थे जिसमें, मुस्लिमों, सिखों समेत कई अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने की बात कही जा रही थी. हालांकि उस समय जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद व सरदार पटेल ने अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने से साफ इनकार किया था जिसके चलते देश का बंटवारा हुअा.
शनिवार को चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, जम्मू की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि कमीशन में फैसला हुआ था कि हिंदुस्तान का बंटवारा करने के बजाय मुसलमानों के लिए अलग से लीडरशिप रखेंगे. इतना ही साथ ही अल्पसंख्यकों और सिखों के लिए अलग से व्यवस्था रखेंगे.
उन्होंने बताया, कमीशन की ये बातें जिन्ना साहब को मंजूर थी, लेकिन जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल ने इसे नहीं माना, जिसके बाद जिन्ना पाकिस्तान की मांग पर अड़ गए.’ उन्होंने कहा, अगर उस वक्त पंडित नेहरु, मौलाना आजाद और पटेल ने फैसला लेने में गलती न की होती तो आ न पाकिस्तान बनता और न ही बांग्लादेश. साथ भी भारत का भी यह रूप नहीं देखने को मिलता. तीनों एक देश का हिस्सा होते.
नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता ने कहा, उस दौर में बोए गए नफरत के बीज का असर आज भी समाज झेल रहा है. हम धर्म, जाति और क्षेत्र के नाम पर कब तक लोगों को बांटते रहेंगे.