इस्राईल अपना ग़ैर क़ानूनी अस्तित्व बचाए रखने के लिए शिया सुन्नी विवाद को हवा देना की हमेशा कोशिश करता रहा है। इस समय इस्राईल सुन्नी सरकारों को ईरान से भयभीत करके उन्हें अपने साथ मिलाने की कोशिश कर रहा है।
इसके लिए ज़ायोनी सरकार अमरीका के साथ मिल कर नित नई योजनाएं बनाती है लेकिन यह भी सच्चाई है कि यदि उसे किसी हद तक अपनी इस योजना में सफलता मिली है तो साथ ही उसे विफलताओं का भी मुंह देखना पड़ा है।
हमास फ़िलिस्तीन का सुन्नी संगठन है और हिज़्बुल्लाह संगठन लेबनान का शीया संगठन है लेकिन दोनों ही संगठनों ने अपने इस्लामी संगठन और इस्लामी प्रतिरोधक मोर्चे का भाग होने पर ज़ोर दिया है और इसी को अपनी प्रमुख पहिचान बनाया है।
सीरिया संकट के दौरान हमास और हिज्बुल्लाह के बीच मतभेद भी पैदा हुए लेकिन हिज़्बुल्लाह ने इस मामले में बड़ी समझदारी दिखाई और साफ़ साफ़ घोषणा कर दी कि यदि हमास से हमारी जंग भी हो जाए तब भी इस्राईल से लड़ने की बात आएगी तो हम एक प्लेटफ़ार्म पर नज़र आएंगे।
सीरिया संकट धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा है और हमास ने भी अपनी नीतियों में होने वाली भूल सुधारते हुए हिज्बुल्लाह और ईरान से अपने संबंधों को विस्तार दिया है।
इस्राईली मीडिया में यह ख़बर रविवार को बहुत व्यापक रूप से चर्चा में है कि फ़िलिस्तीनी संगठन हमास ने हिज़्बुल्लाह लेबनान से समझौता किया है जिसके तहत हमास को दक्षिणी लेबनान में एक सैनिक छावनी बनाने की अनुमति मिली है। इस तरह इस्राईल के ख़िलाफ़ एक और मोर्चा खुलने जा रहा है।
इस्राईली अख़बार यदीऊत अहारोनोत ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि इस्राईल इस बदलाव को बड़ी चिंता की नज़र से देख रहा है और इसे रेड लाइन क्रास किए जाने की प्रक्रिया समझता है। इस्राईल के आंतरिक सुरक्षा मंत्री एविग्डर लेबरमैन ने कहा कि इस्राईल हमास को कभी भी दक्षिणी लेबनान में नया मोर्चा खोलने की अनुमति नहीं देगा। लेबरमैन ने एक प्रकार से यह धमकी दी है कि वह सैनिक विकल्प अपना सकते हैं। इस्राईली अख़बार का कहना है कि हिज़्बुल्लाह लेबनान के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने अपने भाषण में लेबनान की सैदा घटना की ओर संकेत किया और कहा कि हमास के अधिकारी को निशाना बनाकर किए गए हमले में इस्राईल का हाथ है, सैयद हसन नसरुल्लाह के इस बयान से साफ़ ज़ाहिर है कि हमास और हिज़्बुल्लाह के संबंध पूरी तरह समान्य हो चुके हैं और दोनों के बीच समन्वय अपने उच्चतम स्तर पर है।
इस्राईल के सुरक्षा व इंटैलीजेन्स मामलों के विशेषज्ञ यूसी मिलमैन ने कहा कि सीरिया में रूस की हमीमीम सैनिक छावनी पर हालिया ड्रोन हमला इस्राईल के लिए चिंता का विषय है क्योंकि हमास और हिज़्बुल्लाह इसी प्रकार के ड्रोन हमले कर सकते हैं। विशेषज्ञ ने आगे कहा कि ख़ुफ़िया रिपोर्टों से पता चलता है कि हिज़्बुल्लाह पास मिरसाद और अबाबील नाम के सैकड़ों ड्रोन विमान हैं जो काफ़ी आधुनिक ड्रोन विमान हैं। हिज़्बुल्लाह कई बार इस्राईल के भीतर अपने ड्रोन विमान भेजने में कामयाब भी हो चुका है।
विशेषज्ञ का कहना है कि ग़ज़्ज़ा पट्टी में हमास ने ईरान और हिज़्बुल्लाह के इशारे और सहारे पर वायु शक्ति बढ़ाने के लिए प्रयास तेज़ कर दिए हैं। वर्ष 2014 में तो इस्राईल की वायु रक्षा व्यवस्था ने हमास के कई ड्रोन विमान मार गिराए थे लेकिन उसके बाद हमास ने अपने ड्रोन विमानों पर बहुत अधिक काम किया।
हमास ने इस्राईल की आयरन डोम मिसाइल डिफ़ेन्स सिस्टम को देखते हुए मिसाइलो के साथ ही अब ड्रोन ताक़त बढ़ाने पर ध्यान दिया है जो उसके पास नया रक्षा साधन है। आयरन डोम व्यवस्था बाहर से आने वाले मिसाइलों से इस्राईल को सुरक्षित रखने में आंशिक रूप से ही सफल हुई है।
15 दिसम्बर सन 2016 ईसवी को इस्राईली ख़ुफ़िया एजेंसी ने ट्यूनीशिया में मुहम्मद ज़वावी नाम के इंजीनियर की टारगेट किलिंग की। बाद में पता चला कि वह हमास संगठन के ड्रोन मामलों के सलाहकार थे और उन्होंने टेक्नालोजी को डेवलप करने में प्रभावी भूमिका निभाई।
इन सारी चीज़ो को देखते हुए इस्राईल को अच्छी तरह पता है कि हमास अपनी वायु शक्ति तेज़ी से बढ़ाता जा रहा है और हिज़्बुल्लाह से उसका सहयोग भी बढ़ता जा रहा है। अर्थात शीया सुन्नी विवाद की आग भड़काने की साज़िश भी धीरे धीरे नाकाम हो रही है।