आत्महत्या को रोकने और इस पर बात करके ऐसे हालात से बचने के मक़सद से अंतर्राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। इसकी रोकथाम के लिए प्रत्येक 10 सितंबर को यह दिन मनाते हैं।
2024-26 के लिए आत्महत्या रोकथाम की थीम तय की गई है। इस थीम के तहतआत्महत्या को रोकने के लिए इस पर बातचीत को प्रोत्साहन देकर बेहतर माहौल बनाने पर ज़ोर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साल 2024 की थीम ‘चेंजिंग द नैरेटिव ऑन सुसाइड’ (Changing the Narrative on Suicide) रखा गया है।
विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा आत्महत्याएं भारत में होती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि 2022 में भारत में 1.71 लाख लोगों की मौत का कारण आत्महत्या था।
गौरतलब है कि बीते वर्ष 2023 में इस दिवस की थीम ‘क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन’ (Creating Hope Through Action) रखी गई थी।
आत्महत्या को रोकने का प्रयास करते हुए हर साल 10 सितंबर को इस मुद्दे पर फोकस करने, संगठनों, सरकारों और जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने का लक्ष्य रखा जाता है।
आत्महत्या की रोकथाम को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता बनाने के मक़सद से भारत ने 21 नवंबर, 2022 को अपनी राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (NSPS) की शुरुआत की। इस नीति का मक़सद 2020 की तुलना में 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर में 10 फीसद की कमी लाना है।
आंकड़ों के मुताबिक़, 2022 में भारत में आत्महत्या की दर बढ़कर 12.4 प्रति एक लाख हो गई है, जो देश में अब तक दर्ज की गई सबसे अधिक दर है।
डेटा से पता चलता है कि बीते वर्षों में युवा महिलाओं तथा किशोर लड़कियों में आत्महत्या की दर तकरीबन दोगुनी हो गई है।
विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा आत्महत्याएं भारत में होती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि 2022 में भारत में 1.71 लाख लोगों की मौत का कारण आत्महत्या था।
भारत में आत्महत्या की दर में इज़ाफ़ा देखने को मिला है। यह दर बढ़कर प्रति एक लाख पर 12.4 हो गई है, जो देश में अब तक दर्ज की गई सबसे अधिक दर है। राष्ट्रीय औसत 12.4 प्रतिशत के अनुसार 2022 में देश में कुल 1,70,924 आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं।
एनसीआरबी 2022 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में आत्महत्या की सबसे ज़्यादा दर सिक्किम राज्य में है। इसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूह फिर, पुडुचेरी और उसके बाद केरल तथा छत्तीसगढ़ का नंबर आता है।