पशु अधिकारों के लिए सक्रिय संस्था पेटा का कहना है कि अमेरिकी रिसर्च सेंटरों में इस्तेमाल होने वाले जानवरों की देखभाल में लापरवाही बरती जा रही है. इससे बहुत से जानवर दम तोड़ रहे हैं.
लैब का हीटिंग सिस्टम खराब हो जाने से चूहे की मौत हो जाती है या फिर रिसर्चर पिंजरे में एक हफ्ते तक खाना या पानी देना भूल जाते हैं जिससे चूहे मर जाते हैं और कोई ध्यान नहीं देता. या फिर जानवर पांच महीनों तक 24 घंटे लाइट में रहने को छोड़ दिए जाते हैं क्योंकि लैब मैनेजर का कहना है कि उस पर काम का बहुत बोझ है.
एक वैटनरी डॉक्टर ने मादा उल्लू बंदर का ध्यान नहीं रखा, जिसे प्रयोग में प्रजनन के लिए इस्तेमाल किया गया था. ऐसे में वह बीमार हो गई और उसका वजन लगातार कम होता गया. आखिर में दिल का दौरा पड़ने से उसने दम तोड़ दिया.
ये कुछ मामले हैं जो अमेरिका में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) की प्रयोगशालाओं में इस्तेमाल होने वाले जानवरों की दुर्दशा को दिखाते हैं. जानवरों के लिए काम करने वाली संस्था पेटा की तरफ से मांगी गई जानकारी के तहत कुल ऐसे 31 मामले सामने आए हैं. इसके बारे में जानकारी समाचार एजेंसी एएफपी के साथ साझा की गई है.
ये मामले अमेरिका के मौंटाना और मैरीलैंड राज्य में चल रही प्रयोगशालाओं से जुड़े हैं जहां डायबिटीज, बच्चों के स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर रिसर्च हो रही है. एनआईएच का कहना है कि नियमों के उल्लंघन के मामलों को गंभीरता से लिया जा रहा है और उसने खुद इन ऐसे मामलों की पूरी जांच कराई है. पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे जानवरों पर दवाइयों के प्रयोग तो कर रहे हैं लेकिन उनका खयाल नहीं रखा जा रहा है.
कई पशु अधिकार संस्थाएं सैद्धांतिक रूप से पशु परीक्षण का विरोध नहीं करतीं, बल्कि वे जानवरों के साथ क्रूर व्यवहार और कानूनों के उल्लंघन का विरोध कर रही हैं. एनिमल वेलफेयर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता एरिक क्लेमन कहते हैं, “नियम और कानून पशुओं की पीड़ा और तनाव को कम करने के लिए हैं और जब उन न्यूनतम मानकों पर ध्यान नहीं दिया जाता या उनका पालन नहीं किया जाता है तो आपको पीड़ा होती है.”
क्लेमन कहते हैं, “पशुओं को प्रशिक्षण, चिकित्सा देखभाल, भोजन और पानी देना प्राथमिकता होनी चाहिए. अगर आप उन्हें ये भी नहीं दे सकते तो आप जानवरों को रखने लायक नहीं हैं.” लेकिन जानवरों पर परीक्षण उनकी देखभाल को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए. इसमें पिंजरों के आकार, कमरे का तापमान और जानवरों की सामाजिक जरूरतों के साथ-साथ पशुपालकों के दौरे और सर्जरी और पोस्ट-सर्जरी के बाद की साफ सफाई और देखभाल जरूरी है.