केंद्र सरकार ने मंकी पॉक्स के मामले में अलर्ट जारी किया है। एहतियात के तौर पर सभी इंटरनेशनल एयरपोर्ट और बॉर्डर पर निगरानी की जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पूर्वी दिल्ली शाखा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने मंकीपॉक्स को कोरोना संकट के बाद से सबसे ज्यादा फैलने वाली बीमारी बताया है।
राहत की बात यह है कि भारत में अभी तक इसका कोई मामला नहीं मिला है। मंकीपॉक्स को एमपॉक्स भी कहते हैं। दुनियाभर में अभी तक इसके एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 200 से अधिक लोगों की जान भी जा चुकी है।
बॉर्डर, पोर्ट तथा एयरपोर्ट की निगरानी के साथ ही केंद्र सरकार ने दिल्ली में तीन अस्पतालों को भी इस संक्रमण से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। ये अस्पताल हैं- राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज। इनमे आइसोलेशन वार्ड तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
यह वायरस अफ्रीकी देशों में फैला है और वहां से यूरोप के देशों में पहुंच रहा है। इसकी चपेट में आने वाले अधिकतर बच्चे हैं।
इस वायरस का पहला केस मार्च 2024 में सामने आया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्तमान मंकीपॉक्स का वायरस अपना कैरेक्टर चेंज करने के साथ पहले की तुलना में थोड़ा अधिक हानिकारक और जटिल हो चुका है।
इसका एक केस पाकिस्तान और कुछ मामले बांग्लादेश में भी सामने आए हैं। ऐसे में भारत के लिए एहतियाती क़दम उठाना बेहद ज़रूरी है।
डब्ल्यूएचओ इसे पहले ही विश्व के लिए आपातकाल के रूप में घोषित कर चुका है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने भी एक उच्चस्तरीय बैठक करके अलर्ट जारी कर दिया है। इसके तहत सभी चिकित्सा संस्थानों से इससे निपटने के लिए तैयार रहने के लिए कहा है।
मंकी पॉक्स के लक्षण- मंकीपॉक्स का इंफेक्शन होने पर बुखार, मांशपेशियों में दर्द, सिर दर्द और बेचैनी होती है। इसके अलावा शरीर पर चकत्ते भी पड़ने लगते हैं।
देखने में यह स्मॉल पॉक्स और चिकन पॉक्स की तरह का होता है। सर्वप्रथम यह बंदरों में पाया गया था और फिर इंसानों में फैल गया। यह संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है।
मंकी पॉक्स के मरीज़ को एकांत में रखना ज़रूरी होता है जिससे वह किसी दूसरे को संक्रमित न कर सके। मरीज़ को एक से दो सप्ताह तक आइसोलेट करना चाहिए जबकि कुछ मामलों में चार सप्ताह तक भी एकांत करना पड़ सकता है।