आईआईटी मद्रास और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन साथ मिलकर थर्मल प्रबंधन अनुसंधान तथा इसरो के उद्देश्यों का समर्थन करने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर फोकस करेगा।
इससे पहले दोनों संस्थान मिलकर 1985 में ‘इसरो-आईआईटी एम स्पेस टेक्नोलॉजी सेल’ की स्थापना कर चुके हैं। दोनों मिलकर आत्मनिर्भर अंतरिक्ष कार्यक्रम पर काम करेंगे। इसके अंतर्गत द्रव और तापीय विज्ञान पर केंद्रित एक उत्कृष्टता केंद्र बनाने की योजना है। इस केंद्र की स्थापना के लिए इसरो 1.84 करोड़ रुपये की शुरुआती फंडिंग प्रदान करेगा।
इस प्रोजेक्ट के तहत आईआईटी मद्रास के संकाय अपनी विशेषज्ञता के आधार पर थर्मल घटकों के डिजाइन, विश्लेषण और परीक्षण में सहायता करेंगे। इसरो के लिए यह केंद्र एक प्रमुख अनुसंधान केंद्र के रूप में काम करेगा, जिसके तहत आईआईटी मद्रास अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण वाहनों के लिए थर्मल प्रबंधन पर पर फोकस करेगा।
इसरो और आईआईटी मद्रास की इस साझेदारी से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का समर्थन करने के साथ थर्मल विज्ञान में संयुक्त अनुसंधान को सक्षम बनाया जा सकेगा। जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
इस सहयोग के लिए 11 नवंबर, 2024 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इसरो में प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार के निदेशक श्री विक्टर जोसेफ टी ने आईआईटी मद्रास में औद्योगिक परामर्श और प्रायोजित अनुसंधान के डीन प्रोफेसर मनु संथानम से मुलाक़ात करके इन औपचारिकताओं को पूरा किया।
हस्ताक्षर में आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अरविंद पट्टामट्टा के अलावा दोनों संस्थानों के अन्य प्रतिनिधि भी सम्मिलित हुए।
इस साझेदारी पर केंद्र के परियोजना समन्वयक प्रोफेसर अरविंद पट्टामट्टा ने अपने बयान में कहा कि यह केंद्र इसरो और आईआईटी मद्रास के मध्य एक अद्वितीय सहयोग को सुगम बनाएगा। प्रोजेक्ट के विषय में आशान्वित होते हुए उनका कहना था कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का समर्थन करने और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में देश की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए थर्मल विज्ञान में संयुक्त अनुसंधान को सक्षम बनाया जा सकेगा।