भारत की गिनती उन देशों में होती है जिनके पास हाइपरसोनिक मिसाइल के कामयाब परिक्षण का अनुभव है। विशेषज्ञों के मुताबिक़ इसकी रेंज 1500 किलोमीटर से अधिक है।
भारत के अलावा दुनिया के जिन देशों में यह मिसाइल है, उनमें फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान और इजरायल के नाम आते हैं।
इस हाइपरसोनिक मिसाइल को ओडिशा के तट पर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से छोड़ा गया। इस मिसाइल को परमाणु हथियार ले जाने के लिए भी डिजाइन किया जा सकता है।
ध्वनि की गति से भी पांच गुना अधिक अधिक रफ़्तार से चलने वाले हाइपरसोनिक मिसाइल को खोजकर निशाना साधना आसान नहीं है। इसके लिए समान रफ़्तार से चलने वाली मिसाइल की ज़रूरत पड़ेगी।
डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा निर्मित हाइपरसोनिक मिसाइल की रफ़्तार, ध्वनि की गति से भी पांच गुना अधिक है। ध्वनि की एक घंटे में रफ्तार 1235 किलोमीटर है वहीं हाइपरसोनिक मिसाइल की रफ़्तार 6174 किमी प्रति घंटा है।
इस उपलब्धि पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक पोस्ट के माध्यम से लिखा है- ”भारत ने ओडिशा के तट से दूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण करके एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि ने हमारे देश को ऐसे चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया है जिनके पास ऐसी महत्वपूर्ण और उन्नत सैन्य तकनीकों की क्षमता है।
मैं टीम @DRDO_India, हमारे सशस्त्र बलों और उद्योग को इस शानदार उपलब्धि के लिए बधाई देता हूँ।”
इससे संबंधित एक ख़ास बात यह है कि इस हाइपरसोनिक मिसाइल को खोजकर निशाना साधना आसान नहीं है। इसके लिए समान रफ़्तार से चलने वाली मिसाइल की ज़रूरत पड़ेगी।