लंदन। दुनियाभर में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी के बीच चिंता को बढ़ाने वाला एक अध्ययन सामने आया है, जिसके मुताबिक 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में हार्टफेल (हृदय गति रुक जाना) के मामले साल 2060 तक तिगुने हो जाएंगे। आइसलैंड में लैंडसपिताली विश्वविद्यालय में हृदय रोग विशेषज्ञ रगनर डेनिल्सन ने कहा, दुनियाभर में उम्र बढऩे के साथ हृदय संबंधी रोग एक सामान्य स्थिति है। उच्च रक्तचाप, रक्त धमनियों में संकुचन, मोटापा और मधुमेह की वजह से भी हार्टफेल के मामले बढ़े हैं। ऐसे में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी के साथ उनमें हृदयरोग और दिल की धड़कन अचानक बंद होने के मामले बढ़ सकते हैं।
‘यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने 5,706 उम्रदराज प्रतिभागियों पर अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला। इसमें लिंग, उम्र और मौजूदा आकार के आधार पर आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। आंकड़ों के आधार पर, बुजुर्गों में हार्टफेल के कारणों का प्रमुखता से अध्ययन किया गया और भविष्य में कितने बुजुर्ग इससे प्रभावित हो सकते हैं, इसका आकलन करने की कोशिश की गई।
इस शोध में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की उम्र 66 से 98 साल के बीच रही। प्रतिभागियों की औसत उम्र 77 साल रही, जिनमें 58 फीसदी पुरुष रहे। हार्टफेल के मामले पुरुषों और महिलाओं में संयुक्त रूप से 3.7 फीसदी रहे। लेकिन महिलाओं (2.8 फीसद) की तुलना में यह पुरुषों में (4.8 फीसद) ज्यादा रहा। हृदय संबंधी गड़बड़ी की समस्या उम्र बढऩे के साथ बढ़ी। यह 69 साल की उम्र या इससे कम उम्र के लोगों में 1.9 फीसदी रही। वहीं, 80 साल या इससे ज्यादा उम्र वालों में हार्टफेल की समस्या छह फीसदी तक पाई गई।
आने वाले दशकों में 2060 तक बुजुर्ग महिलाओं और पुरुषों की संख्या बढऩे के साथ बढऩे का अनुमान है। इसका सबसे ज्यादा असर 70 से 79 साल और 80 साल या उससे ज्यादा उम्र वालों पर होगा।