अयोध्या। बाबरी मस्जिद विवाद के मुद्दई हाशिम अंसारी का निधन हो गया। लंबे समय से सांस और अन्य तरह की समस्याओं से जूझ रहे अंसारी 96 वर्ष के थे। 22/23 दिसम्बर 1949 को विवादित ढांचे में रामलला की मूर्ति रखे जाने के बाद फैजाबाद की कचहरी में बाबरी मस्जिद की तरफ से मुकदमा दायर करने वाले वह पहले पैरोकार थे।
‘चचा’के नाम से लोकप्रिय अंसारी की मृत्यु की खबर सुनते ही उनके घर पर लोगों का तांता लगना शुरू हो गया। अंसारी के निधन पर अयोध्या के कई संतो महंतो ने भी शोक व्यक्त किया। अंसारी के पुत्र इकबाल के अनुसार पैगम्बर जनाबे शीश की मजार के पास स्थित कब्रिस्तान में उनको सुपुर्द-ए-खाक किया जायेगा। मंदिर आंदोलन के दौरान अयोध्या में तनाव रहने के बावजूद वह लोगों से शांति की ही अपील करते रहते थे। उनका हिन्दू और मुसलमान दोनों में बराबर का सम्मान था।
राम मंदिर आन्दोलन के मुखिया रहे परमहंस रामचन्द्र दास के वह अभिन्न मित्र थे। तेरह साल पहले परमहंस की हुई मृत्यु पर आया उनका बयान ‘मेरा दोस्त मुझसे पहले चला गया।’ आज भी लोगों की जुबान पर है।
उनके निधन पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध हनुमानगढी के महंत ज्ञान दास ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मंदिर मस्जिद विवाद का सुलह समझौते से हल चाहने वाला व्यक्ति चला गया। एक पक्ष के पैरोकार होने के बावजूद अंसारी ने हमेशा दोनो पक्षों से धैर्य बनाये रखने की अपील करते रहते थे।