इस्राईल की सामरिक मामलों की वेबसाइट वल्ला ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि अरब इमारात ने एफ़-35 युद्धक विमानों के बारे में ज़ायोनी प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू के बयान से नाराज़ होकर महत्वपूर्ण मुलाक़ात रद्द करने का फ़ैसला कर लिया है।
सोमवार की अपनी रिपोर्ट में वेबसाइट ने लिखा है कि नेतनयाहू ने अमरीका से इमारात को एफ़-35 युद्धक विमान बेचे जाने पर असहमति जताई जिस पर अबू धाबी नाराज़ हो गया है और इमारात के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस्राईली अधिकारियों के साथ अपनी एक प्रस्तावित बैठक रद्द करके इस्राईल को यह संदेश दिया है कि नेतनयाहू के बयान से इमारात को गहरी निराशा हुई है।
इमारात के अधिकारियों को यह उम्मीद हो गई थी कि नेतनयाहू इस तरह खुलकर युद्धक विमानों की डील का विरोध नहीं करेंगे मगर जब नेतनयाहू ने सार्वजनिक रूप से बयान दे दिया तो इमारात के अधिकारियों को यह महसूस होने लगा कि इस्राईल शांति समझौते की आत्मा की विपरीत दिशा में आगे जा रहा है।
इमारात ने यह संदेश दिया है कि जब तक युद्धक विमानों के बारे में इस्राईल का पक्ष पूरी तरह साफ़ नहीं हो जाता उस समय तक दोनों पक्षों के बीच कोई राजनैतिक मुलाक़ात नहीं होगी। यह मुलाक़ात वाशिंग्टन में होने वाली थी मगर इमारात के अधिकारियों ने अमरीकी राजदूत और वाइट हाउस को बता दिया है कि अगली सूचना तक इस मुलाक़ात को टाला जा रहा है।
टीकाकारों के स्तर पर यह बात आम है कि इमारात इस्राईल से समझौते का एलान करके बुरी तरह डरा हुआ है कि उसने इस्लामी जगत और अरब जगत में अपनी साख दांव पर लगा दी है और अब अगर उसे वह सुविधाएं नहीं मिलती हैं जिनके लिए उसने इस्राईल से समझौता किया है तो कहीं उसका हाल भी मिस्र, जार्डन और फ़िलिस्तीनी प्रशासन जैसा न हो जाए जो इस्राईल से समझौते करके कई दशकों से पछताते आ रहे हैं मगर ख़ुद को इस स्थिति में पहुंचा चुके हैं कि क़दम पीछे खींचने की गुंजाइश नहीं है।