वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की खूब चर्चा हो रही है। इन्होंने एक रुपए की फीस लेकर कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में भारत का पक्ष रखा।
गौरतलब है हरीश साल्वे लंबे समय तक केंद्र में कांग्रेस की सरकारों में मंत्री रहे एनकेपी साल्वे के बेटे हैं। 42 साल के अपने करियर में वह कई कॉरपोरेट घरानों का पक्ष कोर्ट में रख चुके हैं। उनकी गिनती भारत के सबसे महंगे वकीलों में होती है।
‘लीगली इंडिया डॉट कॉम’ के मुताबिक, 2015 में साल्वे कोर्ट में एक सुनवाई के लिए 6 से 15 लाख रुपए लेते थे। पढ़िए, साल्वे की जिंदगी और करियर की ख़ास बातें, जो किताब ‘लीगल ईगल्स’ से ली गई हैं:
1. सीए की परीक्षा में दो बार फेल हुए
हरीश बचपन से इंजीनियर बनना चाहते थे। लेकिन कॉलेज तक आते-आते उनका रुझान चार्टर्ड अकाउंटेसी (सीए) की ओर हो गया। सीए की परीक्षा में वह दो बार फेल हो गए। जाने माने वकील नानी अर्देशर पालखीवाला के कहने पर उन्होंने कानून की पढ़ाई शुरू की।
India's advocate in #KulbhushanJadhav case, Harish Salve: Want to start by expressing gratitude of my country to the ICJ for the manner in which it intervened in this case. It protected Kulbhushan Jadhav from being executed, in a hearing which was put together in a matter of days pic.twitter.com/UDgR3as68Q
— ANI (@ANI) July 17, 2019
नागपुर में पले बढ़े साल्वे के मुताबिक- ‘मेरे दादा एक कामयाब क्रिमिनल लॉयर थे। पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट थे। मां अम्ब्रिती साल्वे डॉक्टर थीं। इसलिए कम उम्र में ही मुझ में प्रोफेशनल गुण आ गए थे।’
2. पिता पहली बार क्रिकेट वर्ल्ड कप को इंग्लैंड से बाहर लाए
हरीश साल्वे के पिता एनकेपी साल्वे पेशे से सीए थे, लेकिन क्रिकेट प्रशासक और कांग्रेस के साथ अपनी राजनीतिक पारी के लिए ज्यादा जाने गए।
पहली बार इंग्लैंड से बाहर क्रिकेट वर्ल्ड कप कराने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है। उन्हीं के नाम पर बीसीसीआई ने 1995 में एनकेपी साल्वे ट्रॉफी शुरू की थी।
वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकारों में मंत्री भी रहे। विदर्भ को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर भी वह काफी मुखर रहे।
EAM S Jaishankar on #KulbhushanJadhav verdict, in Rajya Sabha: The International Court of Justice (ICJ) by a vote of 15-1 upheld India's claim that Pakistan is in violation of Vienna Convention on several counts. pic.twitter.com/fFfuB5KF7c
— ANI (@ANI) July 18, 2019
3. पहला केस दिलीप कुमार का
पिता के संपर्कों का हरीश साल्वे को फायदा मिला और उन्हीं की बदौलत उनकी नानी पालखीवाला से मुलाकात हुई। हरीश के मुताबिक, उनका करियर 1975 में फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार के केस के साथ शुरू हुआ। हरीश इस केस में अपने पिता की मदद कर रहे थे।
दिलीप कुमार पर काला धन रखने के आरोप लगे थे। आयकर विभाग ने उन्हें नोटिस भेजा था और बकाया टैक्स के साथ भारी हर्जाना भी मांगा था। मामला ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
अपने शर्मीले दिनों को याद करते हुए साल्वे कहते हैं, ‘मैं सुप्रीम कोर्ट में दिलीप कुमार का वकील था। आयकर विभाग की अपील ख़ारिज़ करने में जजों को कुल 45 सेकेंड लगे। दिलीप कुमार एक पारिवारिक मित्र थे। वह बहुत खुश हुए। मुझे कोर्ट में बहस करनी पड़ती तो मेरी आवाज़ नहीं फूटती। ख़ुशक़िस्मती से कोर्ट ने मुझसे जिरह के लिए नहीं कहा।’
4. पहली बड़ी प्रशंसा
सरकार जब बेयरर बॉन्ड्स लेकर आई थी तो साल्वे ने अपने सीनियर सोराबजी से इजाजत लेकर सरकारी फ़ैसले के खिलाफ अर्जी दाख़िल कर दी।
इसी मामले पर वरिष्ठ वकील आरके गर्ग ने भी अर्ज़ी दाख़िल की थी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच इस पर सुनवाई कर रही थी। गर्ग ने तीन घंटे तक अपनी दलीलें रखीं, फिर साल्वे का नंबर आया।
साल्वे ने लड़खड़ाते हुए शुरुआत की। दोपहर ठीक 1 बजे जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या वह अपनी बात रख चुके हैं। लेकिन साल्वे को हैरानी और राहत हुई जब जस्टिस भगवती ने कहा, ‘आपने गर्ग को तीन दिन तक सुना। ये नौजवान अच्छी दलीलें दे रहा है। ये जब तक चाहे, इसे अपनी बात रखने की इज़ाजत मिलनी चाहिए।’
शाम 4 बजे तक साल्वे ने अपनी बात रखी। साल्वे बताते हैं, ‘जब मैंने ख़त्म किया तो मुझे सबसे बड़ा इनाम अटॉर्नी जनरल एलएन सिन्हा से मिला, जिनके लिए इतना सम्मान था कि मैं उनकी पूजा करता था। वो खड़े हुए और बोले कि मैं गर्ग की बातों को 15 मिनट में काउंटर कर सकता हूं, लेकिन मैंने इस नौजवान को बड़े चाव से सुना है। मैं अपने दोस्त मिस्टर पाराशरन (उस वक़्त के सॉलिसिटर जनरल) से कहूंगा कि पहले वह इस नौजवान की दलीलों का जवाब देने की कोशिश करें।’
5. अंबानी, महिंद्रा और टाटा के वकील रहे
1992 में दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से साल्वे सीनियर एडवोकेट बना दिए गए। इसके बाद उन्होंने अंबानी, महिंद्रा और टाटा जैसे बड़े कॉरपोरेट घरानों की कोर्ट में नुमाइंदगी की। मशहूर केजी बेसिन गैस केस में जब अंबानी बंधुओं के बीच विवाद हुआ तो बड़े भाई मुकेश अंबानी का पक्ष हरीश साल्वे ने ही रखा।
भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड केस की सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में उन्होंने केशब महिंद्रा का पक्ष रखा था। कोर्ट ने महिंद्रा समेत यूनियन कार्बाइड के सात अधिकारियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या के आरोपों को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ सरकार ने ‘क्यूरेटिव पेटिशन’ दाखिल की थी, जिसमें महिंद्रा की पैरवी साल्वे ने की थी।
नीरा राडिया के टेप सामने आने के बाद रतन टाटा निजता के उल्लंघन का सवाल लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। तब उनके वकील भी साल्वे ही थे।
5. वोडाफोन केस के बाद बढ़ी ख्याति
लेकिन साल्वे को ‘लगभग अजेय’ तब माना गया, जब उन्होंने वोडाफ़ोन को 14,200 करोड़ की कथित टैक्स चोरी के केस में जीत दिलाई।
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया और कहा कि भारतीय टैक्स प्रशासन को कंपनी के विदेश में किए लेन-देन पर टैक्स लेने का अधिकार नहीं है।
साल्वे बताते हैं, ‘इस केस की तैयारी के दौरान मैं हमेशा अपने पास पालखीवाला की तस्वीर रखा करता था। वह मुझे प्रेरित करते थे।’
6. इतालवी नौसैनिकों का पक्ष रखा
बहुत सारे लोगों को शायद हैरत हो कि केरल में दो भारतीय मछुआरों की हत्या के मामले में वह इटली के दूतावास की तरफ से अभियुक्त इतालवी नौसैनिकों का पक्ष रख रहे थे। लेकिन जब इटली की सरकार ने दोनों को सौंपने से मना कर दिया तो साल्वे ने खुद को इस केस से अलग कर लिया।
बिलकीस बानो मामला भी उनकी बड़ी जीतों में माना जाता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस केस की जांच के आदेश दिए थे।
7. गुजरात दंगा मामले में लगे थे भेदभाव के आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा मामले में साल्वे को ‘एमीकस क्यूरी’ चुना था। इसका शाब्दिक अर्थ ‘अदालत का मित्र’ होता है। जनहित के मामलों में वे न्याय सुनिश्चित करने में कोर्ट की मदद करते हैं। लेकिन कुछ दंगा पीड़ितों ने साल्वे पर जनहित के ख़िलाफ़ काम करने का आरोप लगाया।
कामिनी जायसवाल और प्रशांत भूषण जैसे वकीलों ने भी आरोप लगाया कि दंगों के केस में- जिसमें गुजरात सरकार शक के दायरे में है- एमीकस क्यूरी होने के बावजूद साल्वे कुछ ‘दागी’ पुलिस वालों को बचा रहे हैं।
We welcome today’s verdict in the @CIJ_ICJ. Truth and justice have prevailed. Congratulations to the ICJ for a verdict based on extensive study of facts. I am sure Kulbhushan Jadhav will get justice.
Our Government will always work for the safety and welfare of every Indian.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 17, 2019
हालांकि कोर्ट ने इस आरोप को ख़ारिज़ करते हुए कहा, ‘आपका विश्वास मायने नहीं रखता। हमें साल्वे की निष्पक्षता पर पूरा भरोसा है।’
साल्वे ने मशहूर ‘हिट एंड रन’ मामले में सलमान ख़ान की पैरवी की। कोर्ट ने जब सलमान को आरोप से बरी कर दिया तो इसका पूरा श्रेय साल्वे को ही दिया गया।
8. पियानो बजाना पसंद है
1999 में एनडीए सरकार के समय उन्हें भारत का सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया। उस वक़्त उनकी उम्र 43 साल थी। वह 2002 तक इस पद पर रहे।
I welcome the ICJ verdict.
My thoughts tonight are with #KulbhushanJadhav , alone in a prison cell in Pakistan & with his distraught family for whom this verdict brings a rare moment of relief, joy & renewed hope, that he will one day be free to return to his home in India 🇮🇳
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 17, 2019
अपने कार्यकाल पर उन्होंने कहा था, ‘मैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, मेरे दोस्त अरुण जेटली, मुरली मनोहर जोशी, अनंत कुमार, सुरेश प्रभु और तमाम लोगों से मिले स्नेह और समर्थन को हमेशा याद रखूंगा।’
साल्वे जब वकालत नहीं करते हैं तो क़ानून से जुड़ी दिलचस्प चीज़ें पढ़ते हैं। उन्हें दूसरे विश्व युद्ध पर चर्चिल के लेख बेहद पसंद हैं। वह दिल्ली के वसंत विहार के घर में अपनी बेटियों- साक्षी और सानिया के साथ वक़्त बिताना भी पसंद करते हैं। ख़ुद पियानो बजाते हैं और क्यूबा के जैज़ पियानिस्ट गोंज़ालो रूबालकाबा के ज़बरदस्त फ़ैन हैं।
निजी संपत्ति पर उनके विचार दिलचस्प हैं। वह कहते हैं, ‘मैंने एक चीज़ सीखी है कि कभी अपनी कामयाबी पर शर्मिंदा महसूस नहीं करना चाहिए। मैंने ये मेहनत से कमाया है। मैं यहां तक पहुंचने के लिए किसी की कब्र पर खड़ा नहीं हुआ।’
– इस लेख में हरीश साल्वे के कथन और बाक़ी तथ्य किताब ‘लीगल ईगल्स’ से लिए गए हैं। ‘रैंडम हाउस इंडिया’ से छपी यह किताब इंदु भान ने लिखी है।