नई दिल्ली। सस्ते स्मार्टफोन और टैबलेट बनाने वाली कंपनी डाटाविंड ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के बाद से स्वदेश निर्मित टैबलेट उद्योग पर विपरीत असर पडऩे का हवाला देते हुये टैबलेट विशेषकर सात इंच वाले टैबलेट पर जीएसटी की दर कम कर 12 फीसदी करने की मांग की है।
कंपनी के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनीत सिंह तुली ने यहां कहा कि स्मार्टफोन पर 12 फीसदी जीएसटी है लेकिन सात इंच वाले टैबलेट, जिसके सभी फीचर स्मार्टफोन के हैं, पर 18 फीसदी जीएसटी है। उन्होंने कहा कि ढाई हजार रुपये से लेकर पांच हजार रुपए तक के टैबलेट का उपयोग विशेषकर शैक्षणिक कार्यों में अधिक होता है और इसके अधिकांश छात्र ही खरीददार होते हैं लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद से इस श्रेणी के टैबलेट की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुयी है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह वित्त मंत्रालय और संबंधित प्राधिकारों से चर्चा कर चुके हैं लेकिन अब तक कुछ सकारात्मक पहल नहीं हुयी है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद से भारतीय हैंडसेट निर्माताओं पर विपरीत असर हुआ है जबकि चीन की कंपनियां लागत से कम मूल्य पर उत्पाद बेचकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया को गति देने के लिए आम लोगों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सस्ते डिजिटल उपकरण उपलब्ध कराना होगा। लेकिन, ढाई हजार रुपये से पांच हजार रुपये मूल्य के सात इंच का टैबलेट जिनका इस्तेमाल स्मार्टफोन और टैबलेट दोनों की तरह उपयोग किया जाता है। इन पर 18 फीसदी जीएसटी होने से अब लोगों के पास फीचर फोन लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
तुली ने कहा कि डाटाविंड शिक्षा की प्रचलित पद्धति की जगह स्मार्ट साधनों को अपनाने और कम कीमत में उपकरण के साथ इंटरनेट कनेक्टिविटि देने पर जोर देती रही है। टैबलेट पीसी पर जीएसटी से पहले पाँच प्रतिशत बिक्री कर लागता था। कुछ राज्यों में‘मेक इन इंडिया’के तहत कर छूट की वजह से वह भी माफ हो जाता था। लेकिन, जीएसटी की वजह से शून्य प्रतिशत प्रभावी कर बढक़र 18 प्रतिशत हो गया है जिससे शिक्षा के उद्देश्य से निर्मित सात इंच के टैबलेट महंगे और आम लोगों की पहुंच से दूर हो गये हैं।
उन्होंने कहा कि आयातित इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार को घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देकर आयात पर निर्भरता कम करनी चाहिए और इसके लिए स्वदेश में निर्मित उत्पादों पर कर कम करना होगा। इससे ना सिर्फ निर्यात कम होगा बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।