गोवा ने राष्ट्रीय स्तर पर तय किए गए 95% साक्षरता मानक को पार कर लिया है। इसके साथ ही यह देश का दूसरा ऐसा राज्य बन गया है जिसे साक्षर होने का दर्जा मिल गया है।
शुक्रवार को गोवा के 39वें राज्य स्थापना दिवस पर यह घोषणा पणजी स्थित दीनानाथ मंगेशकर कला मंदिर में आयोजित समारोह में की गई।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत ने गोवा को औपचारिक रूप से न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम के तहत पूर्ण कार्यात्मक साक्षर राज्य घोषित किया।
गौरतलब है कि भारत को वर्ष 2030 तक पूर्ण साक्षर बनाने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्य की दिशा में इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है।
दरअसल न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम यानी उल्लास- नव भारत साक्षरता कार्यक्रम देशभर में लागू किया जा रहा है। यहाँ गोवा “जन-जन साक्षर” की भावना के साथ प्रगति का प्रतीक बनकर उभरा है।
बताते चलें कि उल्लास- नव भारत साक्षरता कार्यक्रम एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे 2022 से 2027 तक लागू किया गया है। नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप इस योजना के तहत 15 वर्ष और उससे ऊपर के उन वयस्कों को लक्षित किया जाता है जो स्कूल नहीं जा सके हैं।
इसमें शामिल पाँच घटक में बुनियादी साक्षरता के अलावा संख्यात्मकता, जीवनोपयोगी आवश्यक कौशल, प्रारंभिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और सतत शिक्षा को शामिल किया गया है।
भारत को “जन-जन साक्षर” बनाने के मक़सद से शुरू की गई उल्लास योजना के तहत 1.77 शिक्षार्थी आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता मूल्यांकन परीक्षा (एफएलएनएटी) में शामिल हो चुके हैं।
बताते चलें कि उल्लास मोबाइल ऐप पर अब तक 2.40 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी के अलावा 41 लाख स्वयंसेवी शिक्षक पंजीकृत हो चुके हैं।
हालाँकि, गोवा के अपने सर्वेक्षण के मुताबिक़, राज्य ने साक्षरता आंकड़े को पार करते हुए पूर्ण साक्षरता प्राप्त कर ली है। गोवा की साक्षरता दर की बात करें तो पीएलएफएस रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार यह 93% से अधिक होने के साथ देश में सबसे अधिक दरों में से एक है। यहाँ खास बात यह है कि इसमें पुरुषों एवं महिलाओं दोनों का बढ़िया प्रदर्शन शामिल है।
इस सफलता का श्रेय जन-भागीदारी के अलावा स्वयंसेवकों द्वारा संचालित साक्षरता अभियान, जब विभागीय सहयोग और समावेशी शैक्षणिक उपकरणों को जाता है। गोवा का मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल है कि किस तरह से वर्ष 2030 तक देश को पूर्ण साक्षर बनाया जा सकता है।
इसके लिए गोवा की शिक्षा टीम, जिसमें एससीईआरटी, स्थानीय प्रशासन, स्कूल प्रमुख और स्वयंसेवक शामिल हैं, द्वारा किए गए प्रयास सराहनीय हैं।