इराक़ में चौथा संसदीय चुनाव 12 मई को होने जा रहा है। चुनाव प्रचार लगभग एक महीना पहले शुरु हुआ था जो 11 मई को थम गया।
ज़्यादातर उम्मीदवारों के चुनावी नारे दो तरह के थे एक आर्थिक सुधार और दूसरे जवानों पर केन्द्रित। वास्तव में 2018 के संसदीय चुनाव के नारों और पिछले तीन संसदीय चुनाव के बीच अहम अंतर यह है कि पिछले तीन संसदीय चुनाव सुरक्षा और राजनीति से जुड़े थे।
आर्थिक नारे भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी से संघर्ष और जनता की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने पर आधारित थे। इराक़ में आर्थिक भ्रष्टाचार बहुत गंभीर चुनौती बन गया है और पिछले कुछ साल के दौरान इस देश में सरकार विरोधी प्रदर्शन भी इसी विषय को लेकर हुए। इराक़ में भ्रष्टाचार इतना भयावह रूप धार चुका है कि इराक़ी प्रधान मंत्री हैदर अलएबादी ने मार्च 2018 में अपने एक बयान में कहा कि इस समय भ्रष्टाचार आतंकवाद से ज़्यादा ख़तरनाक हो गया है क्योंकि भ्रष्टाचार को खुल्लम खुल्ला दुश्मन नहीं समझा जाता।
इस बात के मद्देनज़र कि इराक़ में दाइश की हार से इस देश में सुरक्षा चुनौतियां काफ़ी कम हो गयी हैं, इराक़ की अगली संसद के पास यह अवसर होगा कि वह इराक़ी जनता की आर्थिक स्थिति में सुधार को प्राथमिकता दे। ऐसा लगता है कि इसी उम्मीद के साथ इराक़ी जनता 12 मई के चुनाव में व्यापक स्तर पर भाग लेगी।
इराक़ के संसदीय चुनाव में जनता की ज़्यादा से ज़्यादा भागीदारी इस देश को राजनैतिक व आर्थिक दृष्टि से मज़बूत बनाएगी और भ्रष्टाचार तथा विदेशियों से साठगांठ करने वाले प्रत्याशियों को संसद में जाने से रोकेगी। इराक़ की संसद का स्वरूप इस तरह का है कि राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री की नियुक्त और इसी तरह अगले मंत्रीमंडल को विश्वास मत देने में उसका रोल बहुत अहम होगा।