लखनऊ : ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कृषि कानूनों और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल की वापसी की मांग को लेकर पिछले सात दिन से संघर्षरत किसानों के साथ आ गए हैं।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल का ड्राफ्ट जारी होते ही बिजली इंजीनियरों द्वारा इसका विरोध किया था | बिल में इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में दी जाने वाली सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए।
बिल में इस बात का भी प्रावधान है कि अगर सरकार की मंशा होगी तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए किसानों को सब्सिडी दी जा सकती है किंतु इसके पहले किसानों को बिजली बिल का पूरा भुगतान करना पड़ेगा जो सभी किसानों के लिए मुमकिन नहीं। उन्होंने कहा कि किसान संयुक्त मोर्चा के आवाहन पर चल रहे आंदोलन में कृषि कानूनों की वापसी के साथ किसानों की यह एक प्रमुख मांग है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 वापस लिया जाए।
किसानों का मानना है की इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल के माध्यम से बिजली का निजीकरण किए जाने की योजना है जिससे बिजली निजी घरानों के पास चली जाए और वह अच्छा मुनाफा कमा सकें। सब्सिडी समाप्त हो जाने से बिजली की दरें 10 से 12 रु प्रति यूनिट हो जाएगी और किसानों को 8 से 10 हजार रु प्रति माह का न्यूनतम भुगतान करना पड़ेगा |