चुनाव आयोग ने अनुमानित मतदान प्रतिशत रुझानों को अपग्रेड करने का काम किया है। इसके तहत आयोग सुव्यवस्थित, प्रौद्योगिकी-संचालित प्रणाली शुरू कर रहा है।
इस नई प्रक्रिया के आने के बाद पूर्व में होने वाली मैन्युअल रिपोर्टिंग विधियों वाले समय अंतराल को काफी कम किया जा सकेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इसकी आवश्यकता को पहले भी रेखांकित करते रहे हैं।
बताते चलें कि चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49एस के वैधानिक ढांचे अनुसार, पीठासीन अधिकारियों को दर्ज किए गए मतों का विवरण देने वाला फॉर्म 17सी, उम्मीदवारों द्वारा नामित मतदान एजेंट को देना अनिवार्य है। उम्मीदवारों द्वारा नामित मतदान एजेंट से तात्पर्य उस व्यक्ति से है जो मतदान के समाप्त होने पर मतदान केंद्र पर उपस्थित होते हैं।
गौरतलब है कि इस कानूनी आवश्यकता में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है। इसमें मतदान प्रतिशत रुझान की वीटीआर ऐप को अपडेट करने की प्रक्रिया को तेजी से अपडेट करने के लिए सुव्यवस्थित किया जा रहा है।
गौरतलब है कि इस ऐप को जनता को अनुमानित मतदान प्रतिशत रुझानों से अवगत कराने हेतु एक सुविधाजनक, गैर-वैधानिक तंत्र के रूप में विकसित किया गया था।
अपडेट के बाद सभी पीआरओ यानी पोलिंग बूथ के पीठासीन अधिकारी मतदान के दिन अब प्रत्येक दो घंटे में नए ईसीआईएनईटी ऐप पर सीधे मतदाताओं की उपस्थिति दर्ज करेंगे। ऐसा होने पर अनुमानित मतदान रुझानों के अपडेट में में समय अंतराल को घटाया जा सकेगा।
परिणामस्वरूप निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर स्वचालित रूप से एकत्रित अनुमानित मतदान प्रतिशत रुझान पहले की तरह प्रत्येक दो घंटे में अपडेट होते रहेंगे।
अब मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद, मतदाता उपस्थिति डेटा पीठासीन अधिकारी द्वारा मतदान केंद्र छोड़ने से पहले ईसीआईएनईटी में दर्ज किया जाएगा। इससे न सिर्फ समय की बचत होगी बल्कि यह सुनिश्चित होगा कि नेटवर्क कनेक्टिविटी के अधीन मतदान समाप्त होने के बाद अपडेट किए गए वीटीआर ऐप पर निर्वाचन क्षेत्रवार डाले गए मतों का अनुमानित प्रतिशत उपलब्ध होगा।
जिस स्थानों पर मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं है, वहां कनेक्टिविटी बहाल होने तक प्रविष्टियां ऑफलाइन किये जाने के बाद अपडेट हो सकेंगे।
हालाँकि अभी तक की प्रक्रिया में सेक्टर अधिकारियों द्वारा हाथ से लिखे हुए रूप में मतदान डेटा एकत्र किया जाता था और फोन कॉल, एसएमएस या मैसेजिंग ऐप के माध्यम से रिटर्निंग ऑफिसरको रिले किया जाता था।
पहले भी इस जानकारी को प्रत्येक दो घंटे में एकत्र करने के बाद वोटर टर्नआउट (वीटीआर) ऐप पर अपलोड किया जाता था। वहीँ मतदान प्रतिशत के रुझान अक्सर कई घंटे देरी से अपडेट किए जाने के कारण यह देर रात या फिर अगले दिन मिलता था।