अदालत ने यह फ़ैसला 2013 में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मोरसी के समर्थन में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में सुनाया है. इसमें 700 से ज्यादा लोगों को अभियुक्त बनाया गया था.
2013 में मिस्र की राजधानी काहिरा में प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों ने कम से कम 800 लोगों को मार दिया था.
दर्जनों लोगों को आजीवन क़ैद की सज़ा मिली है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अदालत के इस फ़ैसले की निंदा की है. एमनेस्टी का कहना है कि यह हास्यास्पद फ़ैसला है क्योंकि एक भी पुलिस अधिकारी को सज़ा नहीं मिली है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के हुसैन बॉमी ने कहा, ”कोर्ट में अभियुक्तों के पक्ष में सभी चश्मदीद और सबूत पेश नहीं करने दिए गए . लेकिन दूसरा पक्ष जो भी सबूत कोर्ट में ला रहा था उसे स्वीकार कर लिया गया. सभी 75 मौत की सजाएं राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं. इसके जरिए लोगों को ये साफ संदेश दिया गया है कि अगर वर्तमान सरकार के ख़िलाफ प्रदर्शन किया गया तो इसी तरह सजा दी जाएगी. वहीं, सुरक्षा बलों को आसानी से माफी दे दी गई है.”
2013 में ज़्यादातर प्रदर्शनकारी काहिरा के राबा अल-अदविया स्कवेयर पर मारे गए थे. ये प्रदर्शनकारी मोरसी के समर्थक और मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्य थे. प्रदर्शनकारी अब्देल फ़तह अल-सिसी के सैन्य तख़्तापलट के ख़िलाफ़ मोरसी के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे. अल-सिसी ने तीन जुलाई 2013 को तख्तापलट कर दिया था.
फोटो जर्नलिस्ट महमूद अबु जैद
अदालत ने कुछ अभियुक्तों को कम अवधि की सजा भी सुनाई है. सजा पाने वालों में इस्लामिक नेता भी शामिल हैं.
फोटो जर्नलिस्ट महमूद अबु जैद को भी पांच साल की सजा सुनाई गई है जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर रहे सुरक्षा कर्मियों की तस्वीरें खींची थीं. माना जा रहा है कि उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा क्योंकि मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही वह पांच साल जेल में बिता चुके हैं.
उनके भाई महमूद ने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि हम उन्हें जल्द रिहा करा लेंगे. प्रक्रिया पूरी होने में समय लगेगा. इस संबंध में हम अपने वकील की सलाह के मुताबिक आगे बढ़ रहे हैं.”
इस मामले पर सरकार का कहना है कि कई प्रदर्शनकारियों के पास हथियार भी थे और झड़प में आठ पुलिसकर्मियों की भी जान चली गई थी. हालांकि, इससे पहले सरकार ने कहा था कि प्रदर्शन में 40 पुलिसकर्मी मारे गए हैं.