कोलकाता में आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले को लेकर पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट के डॉक्टर 5 अक्तूबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं।
राज्य सरकार द्वारा अपनी मांगे पूरी न होने के विरोध में बैठे जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि उनका विरोध ‘अनिश्चित काल’ तक जारी रहेगा। हड़ताल पर बैठे इन डाक्टरों का कहना है कि कोई भी यह साबित नहीं कर सकता कि उनकी मांगें किसी भी तरह से गलत हैं।
बताते चलें कि जिन छह जूनियर डॉक्टरों ने आमरण अनशन शुरू किया है इनमें आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का कोई भी डॉक्टर शामिल नहीं है।
विरोध प्रदर्शन के तहत धर्मतला में मौजूद इन डॉक्टर्स का कहना है कि वह तब तक काम पर लौटने से इनकार कर रहे हैं जब तक कि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता।
इन डॉक्टररों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि आरजी कर मामले में सत्र न्यायालय में सीबीआई की भूमिका बहुत ढीली है। इनकी मांग है कि इस मामले में जल्द से जल्द न्याय मिले।
साथ ही ये डॉक्टर मांग कर रहे यहीं कि छात्रों के कल्याण के लिए मेडिकल कॉलेजों में जो भी समितियां बनाई जाएं, उनमें छात्रों की ओर से एक प्रतिनिधि शामिल हो। इस प्रतिनिधि का चयन चुनाव के ज़रिए होने की भी इनकी मांग है।
अपनी मांगों से स्वास्थ्य सुधार को जोड़ते हुए इन डाक्टरों का कहना है कि इससे सभी को लाभ मिलेगा। डॉक्टरों ने अपने हर संभव प्रयास के बात इसे अपना अंतिम उपाय कहा है। साथ ही उनका दावा है कि कोई भी यह नहीं कह सकता कि हमारी मांगें गलत हैं।
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों द्वारा पहले भी आरोप लगया जा चुका है कि उनके विरोध प्रदर्शन में बाधा डालने के अलावा राज्य पुलिस ने डराने-धमकाने की रणनीति अपनाई साथ ही पानी और बायो-टॉयलेट जैसी आवश्यक आपूर्ति पर भी रोक लगा दी। इतना ही नहीं विरोध के पहले दिन एक जूनियर डॉक्टर पर हमले की बात भी इनकी तरफ से कही गई है।
गौरतलब है कि अपनी मांगें पूरी करने के लिए 5 अक्टूबर को डॉक्टरों ने बंगाल सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। साथ ही चेतावनी भी दी थी कि अगर मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर देंगे।
एक बार फिर से याद दिला दें कि यह डॉक्टर 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के विरोध में अपनी मांगों को लेकर विरोध जारी रखे हुए हैं। इनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने और राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बावजूद भी अभी तक इनकी मांगे पूरी नहीं हुई हैं।