लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पहली मर्तबा समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने वाली कांग्रेस ने अब तक अपने तुरूप के इक्के का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया है। Dimple priyanka
जबकि प्रदेश के दो चरणों की 140 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो भी चुका है।
प्रियंका गांधी की शक्ल में कांग्रेस के पास मौजूद तुरुप के पत्ते का इस्तेमाल इस बार भी अमेठी और रायबरेली तक ही सीमित रहने के आसार हैं।
उधर चालीस बरस के अपने राजनीति जीवन में पहली बार मुलायम सिंह यादव ने अब तक सिर्फ दो विधानसभा सीटों पर ही चुनाव प्रचार किया है। इसका बड़ा खमियाजा समाजवादी पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
तमाम सियासी जोड़-घटाव के बीच दशकों से उलझा उत्तर प्रदेश इस बार के विधानसभा चुनाव में एक और सियासी घटना का गवाह बन रहा है।
कांग्रेस के साथ सौ सीटों पर गठबंधन करने वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को उम्मीद थी कि राहुल गांधी के अलावा वे प्रियंका गाांधी से चुनाव प्रचार करवा कर उनकी छवि का सियासी लाभ ले पाने में कामयाब हो सकेंगे।
समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव के साथ प्रियंका गांधी के संयुत्त चुनाव प्रचार अभियान की रूपरेखा भी तैयार कर ली थी। लेकिन अब तक दो चरणों में उत्तर प्रदेश की 140 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव प्रचार में किसी एक भी स्थान पर प्रियंका गांधी ने चुनाव प्रचार न कर समाजवादी पार्टी के खेमे की आशाओं पर पानी फेर दिया है। अब तक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सपा सांसद जया बच्चन के साथ चुनाव प्रचार करती नजर आई हैं।
उत्तर प्रदेश में अब तक प्रियंका गांधी के चुनाव प्रचार से दूर रहने के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता द्विजयेन्द्र त्रिपाठी कहते हैं, प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में कहां चुनाव प्रचार करना है?
इसका निर्धारण उन्हें ही करना है। पहले भी वे अमेठी और रायबरेली में ही चुनाव प्रचार करती रही हैं। अब तक उत्तर प्रदेश में और कहां प्रियंका जी को प्रचार करना है – इसका कार्यक्रम हमें प्राप्त नहीं हुआ है।
उन्हें ही यह तय करना है कि वे उत्तर प्रदेश में कहां-कहां चुनाव प्रचार करेंगी। उधर समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव भी चुनाव प्रचार में सक्रिय नहीं हैं।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में करीब तीस हजार किलोमीटर की उत्तर प्रदेश में यात्रा कर दर्जनों चुनावी सभाएं करने वाले मुलायम सिंह यादव ने अब तक सिर्फ तीन सभाएं ही की हैं।
पहली दो चुनावी सभाएं उन्होंने जयवन्तनगर की विधानसभा सीट पर अपने भाई शिवपाल सिंह यादव के पक्ष में की है। मुलायम सिंह यादव का प्रदेश की 140 विधानसभा सीटों में से अब तक सिर्फ तीन सभाएं करना इस बात का संकेत है कि उन्होंने इस बार के विधानसभा चुनाव में सक्रिय सियासत से फासला बना लिया है।
देखने वाली बात यह है कि अगले पांच चरणों के चुनाव में वे अपने इस रुख को बरकरार रखते हैं या इसमें कोई बदलाव होता है। क्योंकि समाजवादी कार्यकर्ताओं का एक बहुत बड़ा वर्ग आज भी खुद को नेताजी से अधिक जुड़ा हुआ महसूस करता है। उनके चुनाव प्रचार में सक्रिय न होने का खमियाजा सपा को वोटों की शक्ल में उठाना पड़ सकता है।
विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी के अब तक चुनाव प्रचार न करने पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय बहादुर पाठक कहते हैं, प्रियंका गांधी ने सदैव अमेठी और रायबरेली तक ही खुद को सीमित रखा है।
इस बार भी इसी की पुनरावृत्ति होती दिख रही है। रही बात मुलायम सिंह यादव की तो नए समाजवाद में उनकी उपयोगिता कितनी रह गई है इसका जवाब उनकी अब तक हुई तीन चुनावी सभाओं से ही मिल जाती है।
सपा ने डिंपल यादव के साथ प्रियंका गांधी के संयुक्त चुनाव प्रचार अभियान की रूपरेखा तैयार कर ली थी। पर अब तक दो चरणों में उत्तर प्रदेश की 140 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं और प्रियंका गांधी ने कहीं भी चुनाव प्रचार न कर सपा खेमे की आशाओं पर पानी फेर दिया है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सपा सांसद जया बच्चन के साथ अब तक चुनाव प्रचार करती नजर आई हैं।2012 के विधानसभा चुनाव में तीस हजार किलोमीटर की उत्तर प्रदेश में यात्रा कर दर्जनों चुनावी सभाएं करने वाले मुलायम सिंह यादव ने अब तक सिर्फ तीन सभाएं ही की हैं।
पहली दो चुनावी सभाएं उन्होंने जयवन्तनगर की विधानसभा सीट पर अपने भाई शिवपाल सिंह यादव के पक्ष में की है। मुलायम सिंह यादव का प्रदेश की 140 विधानसभा सीटों में से अब तक सिर्फ तीन सभाएं करना इस बात का संकेत है कि उन्होंने इस बार के विधानसभा चुनाव में सक्रिय सियासत सेफासला बना लिया है।