यूनिसेफ का एक नया अध्ययन बताता है कि स्कूलों में बच्चे, उम्मीद से कम प्रदर्शन कर रहे हैं। अध्ययन यह भी कहता है कि बच्चों के मोटापे की चपेट में आने की आशंका तो बढ़ी ही है और वे आम तौर पर अपने जीवन से प्रसन्न नहीं हैं।
इटली के इनोचैंटी स्थित वैश्विक शोध कार्यालय के इस अध्ययन में वर्ष 2018 और 2022 के आँकड़ों की तुलना की गई है।
दुनिया के सबसे सम्पन्न देशों में भी कोविड-19 महामारी के बाद से बच्चों के मानसिक कल्याण, शैक्षिक प्रदर्शन, और शारीरिक विकास में गिरावट दर्ज की गई है।
इस विश्लेषण का शीर्षक है- “Report Card 19: Child Wellbeing in an Unpredictable World” जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक तालाबन्दियों के कारण योरोपीय संघ और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) के सम्पन्न देशों में रहने वाले बच्चों पर प्रभाव पर जानकारी दी गई है।
एक अनुमान के अनुसार, महामारी के बाद से बच्चे औसतन सात महीने से लेकर एक वर्ष तक शिक्षा में पीछे चल रहे हैं। सबसे अधिक ख़ामियाज़ा उन परिवारों के बच्चों को भुगतना पड़ा है, जो पहले से ही कठिनाई में गुज़र-बसर कर रहे थे।
अध्ययन दर्शाता है कि 43 देशों में, 15 वर्ष की आयु वाले 80 लाख बच्चे उपयुक्त स्तर पर साक्षर नहीं हैं और न ही वे गिनती और हिसाब में पारंगत हैं। उनके लिए लिखे हुए समझना आसान नहीं है, जिससे उनके भविष्य के प्रति चिन्ता है।
यूनीसेफ़ इनोचैंटी कार्यालय के निदेशक बो विक्टर निलुंड ने कहा कि वैश्विक महामारी से पहले भी, बच्चों को अनेक मोर्चों पर जूझ पड़ रहा था। सम्पन्न देशों में भी उनके पास उपयुक्त समर्थन नहीं था।
रिपोर्ट में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी चिन्ता जताई गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि जीवन के प्रति बच्चों की संतुष्टि का स्तर इससे प्रभावित हो रहा है। 32 में 14 देशों में इसमें गिरावट आई है। केवल जापान में ही इस क्षेत्र में बेहतरी देखने को मिली है।
पाँच वर्ष पहले प्रकाशित एक ऐसी ही अन्य रिपोर्ट ने बच्चों के हवाले से कई जानकारिया उपलब्ध कराइ थीं। उसके बाद से अब तक नैदरलैंड्स और डेनमार्क ने इस मामले में अपनी पोज़िशन बरक़रार रखी है। इस जगह को बच्चे के मानसिक कल्याण, शारीरिक स्वास्थ्य, कौशल की दृष्टि से सर्वोत्तम देश माना गया हैं, जिनके बाद फ़्राँस का स्थान है। इसके बाद, पोर्तुगल, आयरलैंड व स्विट्ज़रलैंड का स्थान है।
मगर, रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि वैश्विक महामारी के बाद अनेक देशों को बच्चों के अकादमिक कौशल में गिरावट का अनुभव करना पड़ा है. उनके पढ़ने, गणित जैसे विषयो में बुनियादी क्षमता पर असर हुआ है।
कोविड-19 महामारी का प्रकोप जनवरी 2020 में शुरू हुआ, जिसके बाद धीरे-धीरे इस बीमारी ने दुनिया भर में देशों को अपनी चपेट में ले लिया था। इससे बचाव के लिए तालाबन्दी उपाय को अपनाया गया और स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों को पूरी तरह से बन्द कर दिया गया।
तीन से 12 महीने के लिए स्कूलों में शैक्षणिक कार्य ठप हो जाने की वजह से बच्चों को दूर रहकर, घर से ही पढ़ाई-लिखाई करनी पड़ी और उन्हें इसका नुक़सान उठाना पड़ा और वे पिछड़ते चले गए।