ऑस्ट्रेलिया में प्रतिनिधि सभा के बाद सीनेट ने भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी। एक साल के भीतर बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने के लिए एक सुरक्षा प्रणाली स्थापित की जाएगी।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, ऑस्ट्रेलियाई संसद के 102 सदस्यों ने 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक के पक्ष में मतदान किया, जबकि केवल 13 सदस्य इसके विरोध में थे।
बीबीसी की एक खबर के हवाले से जानकारी मिली है कि ऑस्ट्रेलियाई संविधान के तहत संसद के बाद बिल को सीनेट में पेश किया गया, जहां बिल को 19 के मुकाबले 34 वोटों से मंजूरी मिल गई। सीनेट से मंजूरी मिलने के बाद एक साल के भीतर बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने के लिए एक सुरक्षा प्रणाली स्थापित की जाएगी।
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों के लिए यह भी अनिवार्य है कि वे अपनी साइटों का उपयोग 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को न करने दें। उल्लंघन के मामले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अमल न करने वाली कंपनियों पर 32 मिलियन डॉलर (2,70,32,38,400 रुपये) तक जुर्माना लगाया जाएगा।
इंटरनेट मॉनीटर एजेंसी सर्फशार्क और नेटब्लॉक्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया के 185 देशों में 2015 से लेकर 30 नवंबर 2020 तक इंटरनेट प्रतिबंध की पड़ताल की गई। 2015 से अभी तक 62 देश डिजिटल मीडिया पर कोई न कोई पाबंदी लगा चुके हैं। एशिया के भी 48 में से 27 देशों में इंटरनेट या डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल पर सख्ती बढ़ा दी गई है।
अंतर्राष्ट्रीय ख़बरों के मुताबिक, जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है उनमें फेसबुक, टिकटॉक, स्नैपचैट, रेडिट, एक्स और इंस्टाग्राम शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यूट्यूब समेत मैसेजिंग और गेमिंग ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना मुश्किल है क्योंकि इन्हें बिना अकाउंट बनाए इस्तेमाल किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है, उन तक बच्चे आसानी से उपलब्ध वीपीएन के जरिए पहुंच सकते हैं।
बताते चलें कि ऑस्ट्रेलिया में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर यह अपनी तरह का पहला बिल है। इस पर गूगल, स्नैपचैट समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने इस बैन और भारी जुर्माने पर चिंता जताई है।
उधर, ऑस्ट्रेलिया का कहना है कि यह बिल बहुत सोच-समझकर और अपनी नस्लों की रक्षा के लिए पारित किया गया है। वीपीएन समेत अन्य बाधाओं का भी समाधान करेगा।
वहीं, असेंबली के ऑस्ट्रेलियाई सदस्यों का कहना है कि इस बिल को लागू करने के लिए शिक्षकों, अभिभावकों और समाज के हर सदस्य को अपनी भूमिका निभानी होगी।