न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने भारत के मुख्य न्यायधीश के रूप में अपने कार्यकाल की समाप्ति पर एक भावुक संदेश दिया, जिसमें उन्होंने अपने फैसलों और कर्तव्यों का जिक्र किया। उन्होंने न्यायपालिका के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए, कभी भी किसी को ठेस पहुंचाने पर माफी मांगी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल का आज अंतिम दिन था। देश के सर्वोच्च न्यायधीश के पद से विदा लेते समय उन्होंने एक भावुक संदेश दिया। डीवाई चंद्रचूड़ ने समारोह में अपने अंतिम सन्देश में कहा- “कल से मैं न्याय नहीं दे पाऊंगा, लेकिन मैं संतुष्ट हूं।”
बताते चलें कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ द्वारा कई ऐतिहासिक फैसले लिये गए जिनमें जम्मू और कश्मीर से धारा 370 का हटाया जाना, विशेष विवाह अधिनियम में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की याचिका पर निर्णय और चुनावी बॉन्ड योजना को समाप्त करना जैसे फैसले शामिल हैं।
भारत के मुख्य न्यायधीश के रूप में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को शपथ ली थी। अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे होने पर उन्होंने न्यायपालिका के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए बताया कि न्यायधीशों का काम कभी आसान नहीं होता।
अपने काम को एक बड़ा दायित्व बताते हुए उन्होंने न्यायाधीशों की तुलना तीर्थयात्रियों से की और कहा कि हम हर दिन अदालत में आते हैं और अपने कर्तव्यों को निभाने की कोशिश करते हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अपने सम्बोधन में ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ शब्द का प्रयोग किया किसका अर्थ है-मेरे सभी अपराधों को क्षमा किया जाए। इस अनोखे अंदाज़ में न्यायमूर्ति ने जाने अनजाने उनके द्वारा किसी का दिल दुखाए जाने की माफ़ी मांगी।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना सोमवार यानी 11 नवंबर 2024 को भारत के 51वें मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ लेंगे। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के योगदान को समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए अतुलनीय बताया।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के कार्यकाल में होने वाले महत्वपूर्ण सुधारों का भी ज़िक्र किया और बताया कि उनके कार्यकाल में दिव्यांगजनों के लिए ‘मिट्टी कैफे’ की स्थापना के अलावा महिला वकीलों के लिए विशेष ‘बार रूम’ की व्यवस्था की गई। इसके अलावा उन्होंने सुप्रीम कोर्ट परिसर के सौंदर्यीकरण के भी कई प्रोजेक्ट्स शुरू किए।