एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि कालीन माइक्रोप्लास्टिक का एक प्रमुख स्रोत हैं और इससे छोटे बच्चों को विशेष रूप से खतरा है।
विशेषज्ञ सावधान करते हैं कि उनके शोध निष्कर्षों का छोटे बच्चों पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव नज़र आता है। दरअसल बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली अविकसित होती है। यहाँ एक और ख़ास बात की तरफ विशेषज्ञ ध्यान दिलाते हैं कि यह लड़कों के लिए ज़्यादा खतरनाक है क्योंकि वे तेजी से सांस लेते हैं।
बर्मिंघम विश्वविद्यालय का यह अध्ययन बताता है कि कालीन वाले घरों में माइक्रोप्लास्टिक्स का स्तर बिना कालीन वाले कार्यस्थलों की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत अधिक पाया गया।
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, कालीन वाले घरों में, बिना कालीन वाले घरों की तुलना में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी का स्तर अधिक होता है। इस शोध में माइक्रोप्लास्टिक के कुछ कणों को मानव फेफड़ों के ऊतकों में प्रवेश करते हुए देखा गया है।
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार, कालीन वाले घरों में माइक्रोप्लास्टिक्स का स्तर, बिना कालीन वाले कार्यस्थलों की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत अधिक है। अध्ययन में कहा गया है कि घर्षण, टूट-फूट, समय बीतने और धोने के तरीकों के कारण आधुनिक कालीनों से माइक्रोप्लास्टिक निकल सकता है।
इस अध्ययन के हवाले से शोधकर्ताओं यह भी कहते हैं कि घर के अंदर की हवा में माइक्रोप्लास्टिक के इन कणों से बड़ी पिचों की तुलना में छोटी पिचों को अधिक खतरा होता है।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि सांस की समस्या वाले लोगों को माइक्रोप्लास्टिक युक्त हवा में सांस लेने से और भी अधिक खतरा बढ़ सकता है।