लखनऊ। नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष (कांग्रेस,सपा,टीएमसी आदि अन्य दल) ने 28 नवंबर को भारत बंद के बैनर तले देश भर में विरोध ज़ाहिर किया। हालांकि इस ‘भारत बंद’ का कुछ ख़ास असर प्रदेश में देखने को नहीं मिला। बड़े पैमाने पर बात करें तो नोटबंदी के खिलाफ भारत बंद फेल रहा। लखनऊ की अधिकतर मार्किट आज खुली रही।हजरतगंज, जनपथ, चौक,अमीनाबाद और आलमबाग जैसी मार्केटें खुली रहीं। व्यापारी नेताओं ने कहा कि वैसे ही सब मंदी झेल रहे है। बड़े दिनों बाद स्तिथियाँ कुछ बेहतर हो रही है। हम भारत बन्द के पक्ष में नहीं है। व्यापार मंडल के सदस्यों ने नरेन्द्र मोदी के समर्थन में पैदल मार्च भी निकाला। भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी गोरखपुर ने बंद के खिलाफ निकाला मार्च निकाला। bharat bandh
नोट बंदी का असर केवल राजनैतिक दलों तक ही सीमित दिखा। अधिकतर आम जन बेशक भारत बन्द के पक्ष में न हो लेकिन विरोधी दलों ने पीएम नरेन्द्र मोदी पर खूब हमले बोले।
इलाहाबाद में सपा कार्यकर्ताओं ने नोटबंदी के खिलाफ करते हुए रेल मार्ग पर मोदी का पुतला जलाया। इसकी वजह से कई ट्रेन रुकी रही।
कांग्रेस ने नोट बंदी को जन आक्रोश दिवस के रूप में बनाने का फैसला किया। कांग्रेस ने जेपीओ से शहीद स्मारक तक विरोध का मार्च निकाला। कांग्रेस विधायक अखिलेश कुमार ने कहा कि मोदी ने काला धन रखने वालों के लिए रास्ते बनाए हैं और गरीबों को परेशान किया है। इसके अलावा कांग्रेस की सीएम उम्मीदवार शीला दिक्षित ने भी कानपुर में नोट बंदी के विरोध में मार्च निकाला।
आम आदमी पार्टी लखनऊ ने भी जीपीओ और केसरबाग क्षेत्र में अपना विरोध जताया। पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार का यह फैसला राजनीतिक कदम है। इसे सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का रूप दिया जा रहा है।
वही बसपा का ने इससे किनारा बनाए रखा। बसपा सुप्रीमो पहले ही कह चुकी है कि हर पार्टी का विरोध करने का अपना तरीका है। उन्होंने कहा था कि बसपा भारत बंद में शामिल नहीं है, लेकिन वह मोदी के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ हैं।