ढाका: बांग्लादेश की एक अदालत ने सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली बहाल करने के निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया है।
रिपोर्ट केमुताबिक़, रविवार 21 जुलाई को न्यायालय के अपीलीय प्रभाग ने निचली अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश में छात्रों की सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और छात्रों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है।
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कोटा प्रणाली के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी और पिछले महीने कोटा बहाल करने के निचली अदालत के आदेश को निलंबित कर दिया।
बांग्लादेश में इस सप्ताह की शुरुआत में छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में करीब 114 लोगों के मारे जाने का समाचार है।
अटॉर्नी जनरल ए एम अमीनुद्दीन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट का फैसला गैर क़ानूनी था।”
अटॉर्नी जनरल ने आगे कहा कि फैसले में सरकारी नौकरियों का कोटा कम करते हुए सिविल सर्विस की 5 प्रतिशत नौकरियां जंगे आज़ादी के भूतपूर्व फौजियों के बच्चों के लिए और 2 फीसद अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित होगा। दूसरी तरफ छात्र संगठनों की मांग है कि कोटा सिस्टम को पूरी तरह खत्म किया जाए।
बांग्लादेश में लगातार बढ़ती युवा बेरोजगारी के चलते छात्रों का विरोध प्रदर्शन बढ़ता गया। प्रदर्शनकारी सिविल सेवा नौकरियों के लिए देश की कोटा प्रणाली में सुधार की मांग करने के लिए सड़कों पर उतरआए जो नवीनतम जनगणना के अनुसार लगभग 40 फीसद था।
बता दें कि बांग्लादेश में 71 के युद्ध में हिस्सा लेने वाले पूर्व सैनिकों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी कोटा आरक्षित था, लेकिन अब इसे घटा दिया जाएगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने 2018 में कोटा प्रणाली को समाप्त कर दिया था लेकिन एक निचली अदालत ने पिछले महीने इसे बहाल कर दिया। जिससे पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।