नई दिल्ली। भारत जल्द ही बलूच नेताओं को राजनीतिक शरण दे सकता है। बलूचिस्तान की आजादी की मांग को लेकर लड़ रहे बलूच नेताओं को भारत शरण के लिए अप्लाई करने को कह सकता है। इसके बाद कुछ सप्ताह में उन्हें शरण दे दी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ब्रहमदघ बुगती और भारतीय अधिकारियों के बीच लंबे समय से भारतीय पासपोर्ट के लिए बातचीत चल रही है। भारत ने आखिरी बार दलाई लामा को 1959 में राजनीतिक शरण दी थी। दलाई लामा तिब्बत पर चीन के अतिक्रमण के बाद भारत आए थे। सूत्रों ने बताया कि बुगती जल्द ही जेनेवा में भारतीय दूतावास में इसके लिए आवेदन करेंगे। बलूच रिपब्लिकन पार्टी ने हाल ही में इस पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई है।
पार्टी के अनुसार भारत सैद्धांतिक तौर पर बुगती और उनके साथियों को शरण देने को राजी हो गया है। उनका कहना है कि ऐसा होने पर जिस तरह से दलाई लामा चीन के खिलाफ पूरी दुनिया में प्रचार करते हैं। वैसे ही बलूच नेता भी पाकिस्तानी की ज्यादती को उठाएंगे। खबरों के अनुसार बुगती के साथ ही उनके साथ शेर मुहम्मद बुगती और अजीजुल्लाह बुगती को शरण देगा। वर्तमान में ये तीनों नेता स्विट्जरलैंड में रहते हैं। करीब 15 हजार बलूच लोगों ने अफगानिस्तान और 2000 ने यूरोप के देशों में शरण ले रखी है। 2006 में अकबरु बुगती की हत्या के बाद ब्रहमदघ बुगती को पुश्तैनी शहर डेरा बुगती बलूचिस्तान छोड़ना पड़ा था। ट्रेवल डॉक्यूमेंट्स की कमी के चलते उन्हें देश-दुनिया में आने-जाने में परेशानी होती है।
बलूच नेताओं ने दुनिया के बाकी देशों से भी समर्थन मांगा है। उनका कहना है कि पाकिस्तानी सेना खुलेआम मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है। वह महिलाओं और बच्चों पर भी अत्याचार कर रही है। कई बलूच नेताओं को अगवा किया जा चुका है। बलूचिस्तान के मारे गए राष्ट्रवादी नेता अकबर बुगती के पोते ब्रहमदग बुगती का कहना है कि भारत एक जिम्मेदार पड़ोसी की भूमिका निभाते हुए बलूचिस्तान में दखल दें और नरसंहार रुकवाए। पूर्वी पाकिस्तान में भारत की भूमिका को आदर से देखा जाता है।