लखनऊ। समाजवादी पार्टी में अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। एक के बाद एक नये मामलों के सामने आने से सपा की मुश्किलें आने वाले विधान सभा चुनाव में बढ़ सकती हैं। इस बार कैबिनेट मंत्री और पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान और आशु मलिक के बीच तनातनी सामने आयी है। मलिक ने कहा कि आजम खान पसमांदा मुसलमानों के दुश्मन हैं। वह तो एहसान का बदला नुकसान से चुकाते हैं। जिसके बाद यूपी अल्पसंख्यक आयोग के एक सदस्य आज़म की हिमायत में खड़े हो गये।
आजम खां के खिलाफ उनकी अपनी ही पार्टी के नेता और एमएलसी आशु मलिक ने मोर्चा खोल दिया है। गाजियाबाद में हज हाउस उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर आशु ने आजम पर इल्जाम लगाया है कि आजम खां ने समारोह में आने वाले अतिथियों में से मेरा और मेरे भाई जिला पंचायत अध्यक्ष नूर हसन का नाम कटवा दिया। आशु मलिक इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने यहां तक कहा कि कार्यक्रम स्थल पर नेताजी मुलायम सिंह यादव का फोटो भी नहीं लगाया गया। यह सब आजम ने ही करवाया। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से आशु मलिक की पांच कालीदास मार्ग के साथ साथ विक्रमादित्य मार्ग स्थित मुलायम के आवास पर बढ़ती आवाजाही ने आजम को विचलित किया। मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले आशु मलिक को समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद भी भिजवा दिया, वो भी आजम की राय लिये बगैर। जाहिर है ये सब आजम खान को नागवार गुजरने के लिए काफी है। इतना ही नहीं बीते कुछ दिनों में जिस तरह से पश्चिमी यूपी में मुस्लिम समुदाय के मसलों पर आशु मलिक सामने आए हैं उससे ये भी इशारा मिला कि पार्टी उन्हें सेकेन्ड लाइनर मुस्लिम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है। जानकार भी मानते हैं कि आजम खान के पल में तोला, पल में माशा वाली छवि से सपा सुप्रीमो मुलायम के साथ साथ अखिलेश यादव भी सहज नहीं रहे। ऐसे में पार्टी को एक ऐसे चेहरे की दरकार है जो संभवतः अखिलेश के करीबी आशु मलिक के जरिये पूरी की जा सकती है।
माना जा रहा है इसी कड़ी में आशु मलिक ने आजम के खिलाफ़ मोर्चा खोला है। आजम पर हमला करते हुए आशु ने कहा कि उन्होंने मुसलमानों को तबाह व बर्बाद किया है। आजम खान का विश्वास सिर्फ परिवारवाद में है। वे खुद को मंत्री और पत्नी को राज्य सभा सदस्य बनवाने के बाद अब अपने बेटे के लिए भी जमीन तैयार कर रहे हैं। जिस पर अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य शफी आजमी, आजम खान की हिमायत में आ गये हैं। उन्होंने मलिक को लताड़ते हुए कहा कि चुनावी माहौल में मुस्लिम नेतृत्व पर हमला करने वाले अखिलेश सरकार के बुनियादी दुश्मन हैं। आजम का सपा में काफी बड़ा कद है। ऐसे मे अगर कोई दूसरी कतार का पार्टी नेता उनके खिलाफ मोर्चा खोलता है तो इसके कई सियासी मायने निकाले जा सकते हैं। मतलब साफ है कि सपा में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है।