लुका : इटली के लुका में सोमवार से जी-7 समूह के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई। सीरियाई संकट बैठक का मुख्य मुद्दा है। सहयोगी देश सीरिया पर अमेरिकी रणनीति जानने को आतुर हैं। america
सात अप्रैल को सीरियाई एयरबेस पर मिसाइल हमले के बाद से अमेरिकी अधिकारियों के अलग-अलग बयान ने सहयोगियों को भ्रम में डाल रखा है।
वे नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर अमेरिका चाहता क्या है, उसकी प्राथमिकता क्या है।
इसके अलावा उत्तर कोरिया, रूस, ईरान और लीबिया पर भी बातचीत की उम्मीद है।
बैठक शुरू होने से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने भ्रम खत्म करने की कोशिश करते हुए कहा कि बेगुनाहों के खिलाफ अपराध के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई से अमेरिका पीछे नहीं हटेगा।
मिसाइल हमले से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर संकेत दिया था कि वे अपने पूर्ववर्ती की तरह दूसरे देशों में हस्तक्षेप के इच्छुक नहीं हैं। लेकिन, मिसाइल हमले का फैसला लेकर उन्होंने पूरी दुनिया को चौंका दिया।
हमले के बाद टिलरसन ने कहा था कि इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी समूह का खात्मा और सीरियाई सरकार व विद्रोहियों के बीच युद्धविराम ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकता है।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत निक्की हेली ने कहा था कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्ता से बाहर करना सरकार की प्राथमिकता है।
दोनों के अलग-अलग बयान ने सहयोगियों को भ्रमित और निराश कर रखा है, क्योंकि वे असद को सत्ता से बाहर कर सीरियाई संकट का राजनीतिक समाधान चाहते हैं।
सहयोगी देश चाहते हैं कि असद सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए ट्रंप प्रशासन प्रतिबद्धता दिखाए। रूस पर असद सरकार से दूरी बनाने के लिए दबाव बनाए।
समूह के सदस्य देश इटली, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने तुर्की, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर को भी बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
मंगलवार को इन देशों के साथ सीरिया पर चर्चा होगी। ये देश भी असद की सत्ता का विरोध करते हैं। जी-7 के सदस्य देशों में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं।